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  • पुलिस देश में निगरानी बढ़ाने के लिए डीएनए सैंपल जुटा रही, इसमें बड़ों के साथ कम उम्र के लड़के भी शामिल
  • इसके जरिए अधिकारी किसी भी मेल व्यक्ति के पुरुष रिश्तेदार को केवल खून और लार के जरिए ट्रैक कर सकेंगे

दैनिक भास्कर

Jun 23, 2020, 03:56 PM IST

सुई ली वी. चीनी में पुलिस देश के करीब 70 करोड़ पुरुषों का जेनेटिक मैप बनाने के लिए पूरे देश में बच्चे और बड़ों का ब्लड सैंपल ले रही है। पुलिस ऐसा इसलिए कर रही है, ताकि निगरानी को बढ़ाया जा सके। ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी में प्रकाशित एक नई स्टडी के मुताबिक, चीनी पुलिस 2017 से ही एक व्यापक डीएनए डाटाबेस बनाने के लिए सैंपल इकट्ठे कर रही है। इसके जरिए अधिकारी किसी भी मेल व्यक्ति के पुरुष रिश्तेदार को केवल खून और लार के जरिए ट्रैक कर सकेंगे।

मानवाधिकार समूह विरोध कर रहे

  • पुलिस का कहना है कि उन्हें अपराधियों को पकड़ने के लिए डीएनए डाटाबेस की जरूरत है। डोनर्स ने अपनी मर्जी से डीएनए दिया है। कुछ चीनी अधिकारियों और सीमा पार कुछ मानवाधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि नेशनल डीएनए डाटाबेस लोगों की प्राइवेसी को नुकसान पहुंचा सकता है। अधिकारी विरोध करने वालों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के रिश्तेदारों को सजा देंगे।
  • चीन में पहले से ही इस कार्यक्रम को लेकर भारी विरोध हो रहा है। ह्यूमन राइट्स वॉच की चीनी शोधकर्ता माया वांग ने कहा है कि अधिकारियों के पास किसी व्यक्ति के करीबी के बारे में पता करने की क्षमता एक परिवार के एक्टिविज्म की सजा पूरे परिवार को देने के संदर्भ में है। यह पूरे समाज पर प्रभाव डालने वाला है। 

चीन को टेस्टिंग किट्स देने पर अमेरिकी कंपनी का विरोध

  • थर्मो फिशर नाम की अमेरिकी कंपनी ने चीनी पुलिस को टेस्टिंग किट्स बेची हैं। अमेरिकी लॉमेकर्स ने चीनी अधिकारियों क सामान बेचने पर थर्मो फिशर की आलोचना की है, लेकिन कंपनी ने अपने बिजनेस का बचाव किया है। 

अभियान में स्कूली बच्चे भी शामिल

  • चीन के एक दक्षिण तटीय शहर में छोटे बच्चे हाथों में सुई लिए पुलिसकर्मियों के सामने अपनी छोटी-छोटी उंगलियां सैंपल लेने के लिए पेश कर रहे थे। वहीं, उत्तर में लगभग 230 मील पर अधिकारी हर टेबल पर जाकर बच्चों का खून इकट्ठा कर रहे थे, जबकि बच्चियां यह अजीब ढंग से देख रहीं थीं। 
  • उत्तरी चीन के एक ग्रामीण इलाके में रहने वाले 31 साल के कंप्यूटर इंजीनियर जियांग हाओलिन ने भी ब्लड सैंपल दिया। इसके अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं था। उन्होंने बीते साल बताया था कि अधिकारियों ने कहा था कि अगर खून नहीं दिया तो हम आपके घर को ब्लैक हाउसहोल्ड घोषित कर देंगे।
  • हाओलिन को डर था कि यदि ऐसा हुआ तो उन्हें और उनके परिवार को यात्रा और अस्पताल में इलाज जैसी सुविधाएं नहीं मिलेंगी। चीनी अधिकारी कहते हैं कि वे पुरुषों और लड़कों का डीएनए सैंपल इसलिए ले रहे हैं, क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि ये ज्यादा क्राइम करते हैं। 

कैसे शुरू हुआ यह अभियान?

  • आंतरिक मंगोलिया के उत्तरी चीनी इलाके में हुई वारदातों को इस अभियान से जोड़कर देखा जा सकता है। करीब तीन दशकों तक वहां की पुलिस ने 11 औरतों और लड़कियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामलों की तहकीकात की। इनमें से एक की उम्र 8 साल थी। पुलिस ने 2 लाख 30 हजार फिंगरप्रिंट्स लिए और एक लाख डीएनए सैंपल की जांच की।  28 हजार डॉलर के ईनाम की भी पेशकश की। 
  • स्टेट न्यूज मीडिया के मुताबिक, 2016 में उन्होंने एक असंबंधित रिश्वत के आरोप के कारण एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। उसके जीन के विश्लेषण में पाया गया कि इस व्यक्ति का ऐसे शख्स से संबंध है जो 2005 में हुई एक महिला की हत्या वाली जगह पर अपना डीएनए छोड़ गया था। वह व्यक्ति गाओ चेंगयोंग था, जिसने अपना अपराध कुबूल किया। बाद में उसे खत्म कर दिया गया। 
  • गाओ की गिरफ्तारी ने स्टेट मीडिया को मेल डीएनए के नेशनल डाटाबेस निर्माण की बात कहने पर जोर दिया। हेनान प्रांत की पुलिस ने 2014 से 2016 के बीच 53 लाख पुरुषों के सैंपल इकट्ठे कर बताया कि यह मुमकिन है।
  • नवंबर 2017 में पुलिस को नियंत्रित करने वाली मिनिस्ट्री ऑफ पब्लिक सिक्युरिटी ने नेशनल डाटाबेस के प्लान की पेशकश की। स्टेट मीडिया के मुताबिक, चीन के पास पहले से ही दुनिया की सबसे बढ़ी जैनेटिक मैटेरियल की टुकड़ी है, जिसमें 8 करोड़ प्रोफाइल्स शामिल हैं। 
  • शुरुआत में डीएनए जुटाने के प्रयास काफी फोकस्ड होते थे। अधिकारी संदिग्ध अपराधी और ऐसे समूहों जैसे निश्चित जगहों से प्रवासी मजदूरों को टारगेट करते थे, जिनसे उन्हें खतरा हो। इसके अलावा पुलिस ने उइगर जैसे अल्पसंख्यक समूहों का भी डीएनए इकट्ठा किया, ताकि उनपर कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण बना रह सके।

इतना बड़ा डाटाबेस कहीं नहीं है

यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के पॉलिटिकल साइंस विभाग में पीएचडी कैंडिडेट और ऑस्ट्रेलियन रिपोर्ट के लेखक एमील डर्क्स के मुताबिक, इन मॉडल्स को पूरे चीन में इतने आक्रामक रूप से विस्तार करते हुए देख रहे हैं, जितना मुझे नहीं लगता कि हमने पहले कभी ऐसा देखा होगा।

ऑस्ट्रेलियन संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अधिकारियों का लक्ष्य 3.5 करोड़ से 7 करोड़ तक डीएनए सैंपल कलेक्ट करना है। उन्हें हर एक पुरुष का सैंपल नहीं चाहिए, क्योंकि एक व्यक्ति का सैंपल पूरे रिश्तेदारों की जेनेटिक आईडी बता देता है।

अमेरिकी कंपनी से उपकरण क्यों खरीद रहा चीन
वैज्ञानिकों, चिकित्सा नैतिकतावादियों और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह टूल सोशल कंट्रोल के लिहाज से काफी जरूरी है। लोगों का जैनेटिक डाटा लेकर लोगों को ट्रैक करने के अलावा चीन के पास थर्मो फिशर उपकरण खरीदने के और भी कारण हैं। कंपनी का यह टूल कई जानलेवा बीमारियों की जांच में चीनी डॉक्टरों की मदद करता है।

इसके अलावा थर्मो फिशर दूसरे कई देशों की पुलिस को डीएनए उपकरण बेचती है। विरोध के बीच कंपनी का कहना है कि वो शियानजियांग में पुलिस को उपकरण देना बंद कर देगी। इस इलाके में सोशल कंट्रोल के लिए उइगर मुसलमानों के डीएनए कलेक्शन का डाटा बड़े स्तर पर चल रहा है। 



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