- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे के बाद भारत-चीन के अफसर लगातार 48 घंटे तक कॉन्टैक्ट में थे
- मोदी ने शुक्रवार को अचानक लद्दाख पहुंचकर चीन को मैसेज दिया था कि विस्तारवादी नीति छोड़ दे
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दैनिक भास्कर
Jul 06, 2020, 02:44 PM IST
लद्दाख. गलवान की झड़प के 20 दिन बाद चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर 2 किलोमीटर पीछे हट गया है। उसने टेंट और अस्थाई निर्माण हटा लिए हैं। हालांकि, गलवान के गहराई वाले इलाकों में चीन की बख्तरबंद गाड़ियां अब भी मौजूद हैं। लद्दाख में भारत-चीन के बीच 4 पॉइंट्स पर विवाद है। ये पॉइंट- पीपी-14 (गलवान रिवर वैली), पीपी-15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया हैं। भारतीय सेना सभी पॉइंट पर नजर रख रही है।
15 जून की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच हुई डिप्लोमैटिक और आर्मी लेवल की मीटिंग्स के साथ ही पिछले 48 घंटों की लगातार कोशिशों के बाद चीन रविवार को पीछे हटने को तैयार हुआ। भारत ने भी अपने सैनिक पीछे हटा लिए। दोनों ने मिलकर 4 किलोमीटर का नो-मैन जोन बना लिया है।
एनएसए की चीन के विदेश मंत्री से चर्चा, गलवान जैसी घटनाएं रोकने पर जोर
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने रविवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से वीडियो कॉल पर बात की थी। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बातचीत अच्छे माहौल में हुई। चर्चा में इस बात पर जोर रहा कि फिर से शांति बहाल हो और भविष्य में गलवान जैसी घटनाएं रोकने के लिए साथ मिलकर काम किया जाए।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को अचानक हुए लद्दाख दौरे के बाद तनाव कम करने की कोशिशें तेज हो गई थीं। मोदी ने लद्दाख सीमा से बिना नाम लिए चीन को चुनौती दी थी कि उसे विस्तारवादी नीति छोड़ देनी चाहिए।
30 जून को दोनों देशों के आर्मी अफसरों के बीच मीटिंग में भी विवाद वाले इलाकों से सैनिक पीछे हटाने पर सहमति बनी थी। चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी वहां के विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा है कि भारत-चीन के बीच सैनिक कम करने का प्रोसेस आगे बढ़ा है। भारत-चीन के बीच 15 जून को गलवान में हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 40 सैनिक मारे गए, लेकिन उसने यह कबूला नहीं।
लद्दाख में 30,000 जवान तैनात
गलवान की झड़प के बाद भारत ने लद्दाख में सैनिकों की 3 एक्स्ट्रा ब्रिगेड तैनात की हैं। एक ब्रिगेड में 3000 सैनिक हैं। इस तरह लद्दाख में अब करीब 30,000 सैनिक तैनात हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक जो अतिरिक्त जवान तैनात किए गए उन्हें पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश से बुलाया गया। 14वीं कॉर्प्स कमांड के अंडर में एलएसी पर आर्मी के डिवीजन हैं।
2017 में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक में अहम रोल निभाने वाले कुछ पैरा स्पेशल जवानों को भी लद्दाख भेजा गया है। ये जवान करीब 12 स्पेशल फोर्सेज रेजीमेंट से भेजे गए हैं, जो कि बेहद मुश्किलों वाले इलाकों में हाई-रिस्क ऑपरेशन में ट्रेन्ड होते हैं।
लद्दाख में जवानों के लिए स्पेशल टेंट का ऑर्डर दिया जाएगा
लद्दाख में तैनात जवानों को ठंड से बचाने के लिए स्पेशल टेंट्स के इमरजेंसी ऑर्डर दिए जाएंगे। सेना के सीनियर अफसरों का मानना है कि चीन से तनाव लंबा चल सकता है, इसलिए स्पेशल टेंट्स की जरूरत पड़ेगी। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि चीन ने भी अपने सैनिकों को खास तरह के टेंट्स में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है।
हॉवित्जर के लिए गोले भी खरीदे जाएंगे
भारतीय सेना अपनी बेहतरीन अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोप (एम-777) के लिए ज्यादा गोले खरीदेगी। यह तोप काफी हल्की है, इसे एक से दूसरी जगह आसानी से शिफ्ट किया जा सकता है।
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