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  • कोलंबिया यूनिवर्सिटी का शोध- ऑस्टियोकेल्सिन हार्मोन पुराने टिशूज हटाकर नए बनाता है
  • प्रोफेसर गेर्रार्ड कारसेंटी 30 सालों से हडि्डयों में छिपे इस राज को जानने के लिए शोध कर रहे

दैनिक भास्कर

Jul 06, 2020, 06:06 AM IST

न्यूयॉर्क. वैज्ञानिकाें ने इस बात का पता लगा लिया है कि बुढ़ापे काे दूर भगाने का राज हमारी हड्डियाें में ही छिपा है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के जेनेटिक्स विभाग के प्रमुख प्रोफेसर गेर्रार्ड कारसेंटी पिछले 30 सालों से हडि्डयों में छिपे इस राज को जानने के लिए शोध में लगे हुए हैं।

उन्होंने हडि्डयों में पैदा होने वाले हार्मोन ‘ऑस्टियोकेल्सिन’ पर रिसर्च के दौरान पाया कि यह हडि्डयों के अंदर पुराने टिशूज को हटाने और नए टिशूज को लगातार बनाने का काम करता है। इससे हमारा कद बढ़ता है। इसके लिए उन्होंने चूहों में इस हार्मोन का जीन निकाल कर रिसर्च किया।

इससे पता चला कि हडि्डयों के अंदर के हार्मोन भी हमारे शरीर की कई क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। प्रो. कारसेंटी का कहना है कि पहले ऐसा माना जाता था कि हड्डियाें के ढांचे से हमारा शरीर सिर्फ खड़ा रहता है, लेकिन ऐसा नहीं है। हडि्डयां इससे भी ज्यादा क्रियाओं को प्रभावित करती हैं।

हडि्डयों के अंदर के टिशूज हमारे शरीर के अन्य टिशूज के साथ सहयोग करते हैं। हडि्डयां अपने खुद के हार्मोन बनाती हैं, जो दूसरे अंगों तक संकेत भेजने का काम करती हैं। इसकी मदद से ही हम कसरत करते हैं। इससे बुढ़ापा राेकने और याददाश्त बढ़ाने में मदद मिलती है।

प्राे. कारसेंटी का कहना है कि बुढ़ापा न आने देने के लिए शरीर में ‘ऑस्टियोकेल्सिन’ बढ़ाने के अलावा काेई विकल्प नहीं है। नियमित कसरत से हडि्डयां अपने आप ऑस्टियोकेल्सिन बनाने लगती हैं। वैज्ञानिक ऑस्टियोकेल्सिन की दवा बनाने में जुटे हैं ताकि यह हार्मोन लंबे समय तक शरीर में रहकर बुढ़ापे की बीमारियों से बचा सके।

बूढ़े चूहों पर ब्लड प्लाज्मा का प्रयोग कर उम्र बढ़ने से रोका

इधर, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के वैज्ञानिकों ने बूढ़े चूहों पर किए गए एक शाेध में पता लगाया है कि ब्लड प्लाज्मा का आधा हिस्सा निकालकर उसकी जगह सलाइन और एल्ब्युमिन में बदल दिए जाने से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया उलट जाती है।

इससे मांसपेशियां, दिमाग और लीवर के टिशूज फिर से जवान होने लगते हैं। रिसर्च टीम अब यह निष्कर्ष निकालने में जुटी है कि क्या यह संशोधित ब्लड प्लाज्मा उम्र के साथ जुड़ी बीमारियों के इलाज में इंसानों के लिए कारगर होगा? साथ ही बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर यह तकनीक कितनी फायदेमंद होगी? 



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