- अंकुश के पिता और दादा भी सेना में रहे हैं, 19 साल की उम्र में अंकुश का हो गया था सिलेक्शन
- अंकुश का छोटा भाई उसके जन्म के दस साल बाद पैदा हुआ, अभी महज 12 साल का लेकिन वो भी कह चुका है कि मुझे सेना में ही जाना है
- परिवार से 20 मई को आखिरी बार फोन पर बात हुई थी, तब उसने बताया था कि चीन के साथ थोड़ी टेंशन चल रही है, फिर सीधे शहीद होने का ही पता चला
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अक्षय बाजपेयी
Jun 24, 2020, 06:52 AM IST
हमीरपुर. शादी के दस साल बाद तक हम मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे तक में गए। खूब पूजा-पाठ किया। मन्नतें कीं। एक ही कामना था कि कैसे भी घर में बच्चा आ जाए। लोग हमें अलग-अलग जगह जाने की सलाह देते थे। कोई किसी मंदिर का पता बताता था तो कोई इबादत के लिए मस्जिद में जाने को बोलता था। हमने सब किया तब कहीं जाकर शादी के दस साल बाद अंकुश पैदा हुआ था।
![सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 2 सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 1](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2020/06/23/whatsapp-image-2020-06-23-at-164432-1_1592916009.jpeg)
यह कहते हुए गलवान में शहीद हुए अंकुश ठाकुर के पिता और रिटायर्ड फौजी अनिल ठाकुर का गला भर आया। बोले, साहब 1988 में मेरी शादी हुई थी और अंकुश का जन्म 24 नवंबर 1998 को हुआ। मैंने अपनी दस साल की नौकरी में सेना से जो कमाया था, वो तो इसी में खर्च कर दिया था कि मेरे घर में भी बच्चे की किलकारियां गूंजे। मेरी पत्नी को भी मां बनने का सुख मिले और मेरा परिवार भी आगे बढ़े।
![सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 3 सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 2](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2020/06/23/whatsapp-image-2020-06-23-at-164436-2_1592916027.jpeg)
बड़ी मुश्किलों के बाद हमारे घर में खुशियां आई थीं। 1998 में जब अंकुश का जन्म हुआ, तब मेरी पोस्टिंग मेरठ में थी। 2002 में धर्मशाला आया और 2003 में 17 साल 6 महीने सेना में सेवा देने के बाद मैं रिटायर हो गया। घर की माली हालत खराब थी इसलिए 2005 में डिफेंस सिक्योरिटी कोर (डीएससी) ज्वॉइन कर ली थी, ताकि मेरा बच्चा अच्छे से पढ़-लिख सके।
![सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 4 सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 3](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2020/06/23/whatsapp-image-2020-06-23-at-164437-1_1592916042.jpeg)
अंकुश पढ़ने में भी बहुत तेज था लेकिन न जानें क्यों उसमें शुरू से ही सेना में जाने का जुनून और जोश था। मैं नहीं चाहता था कि वो सेना में जाए। मैंने सोचा कि बड़ी मन्नतों के बाद तो पैदा हुआ है, लेकिन उसने साफ कह दिया था कि मैं सेना में ही जाऊंगा। उसका फौलादी इरादा देखकर मैंने भी फिर उसे मना नहीं किया। उसने तो सेना में जाने की कसम खा रही थी।
![सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 5 सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 4](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2020/06/23/whatsapp-image-2020-06-23-at-164438_1592916057.jpeg)
12वीं के बाद उसने बीएससी में एडमिशन लिया। दूसरी बार में ही भर्ती में उसका सिलेक्शन हो गया था। जनवरी 2019 में उसने सेना ज्वॉइन की थी। अंकुश के सिलेक्शन के वक्त हमारे गांव कडोहता में 16 साल बाद ऐसा हुआ था कि गांव का कोई लड़का सेना में भर्ती होने में कामयाब हुआ है। पहले हमारे गांव में हर घर से लड़के सेना में ही जाते थे। मैं सेना में रहा। मेरे पिताजी सेना में थे। शायद हमारे खून में ही सेना में भर्ती होना लिखा है।
![सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 6 सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 5](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2020/06/23/whatsapp-image-2020-06-23-at-164440_1592916070.jpeg)
सेना में जाने के बाद भी अंकुश ने पढ़ाई करना नहीं छोड़ा था। वो कमांडिंग अफसर बनना चाहता था। मेरी उससे आखिरी बार बात 20 मई को हुई थी। तब उसने बताया था कि, चीन से कुछ टेंशन चल रही है और हालात अभी ठीक नहीं हैं। इसके बाद मैंने उससे कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन बात हो ही नहीं सकी। 16 जून को सीधे उसके शहीद होने की खबर ही मुझे मिली।
![सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 7 सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 6](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2020/06/23/ankush-cover1_1592916084.jpg)
दूसरा बेटा 12 साल का है, वो भी सेना में जाना चाहता है
अंकुश के पिता अनिल कहते हैं कि अंकुश के जन्म के दस साल बाद हमारे घर दूसरा बेटा 2008 में हुआ। वो सातवीं क्लास में है, लेकिन अभी से ही सेना में जाना चाहता है। कहता है मुझे सेना में ही जाना है। मैं उसे भी नहीं रोकना चाहता। अंकुश की शहादत पर मुझे गर्व है। उसने हमारे पूरे गांव का नाम रोशन किया है।
![सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 8 सेना में भर्ती होने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ी थी, वो कमांडिंग ऑफिसर बनना चाहता था 7](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2020/06/23/ankush-1_1592916103.jpg)
ऐसा पहली बार हुआ है, जब हमारे गांव से किसी ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। अब गांव का एक स्कूल उसके नाम से जाना जाएगा। अस्पताल में उसका स्मारक बनेगा। इससे नए लड़के प्रेरणा लेंगे और सेना में जाने के लिए मोटिवेट होंगे। 19 जून को अंकुश पंचतत्व में विलीन हो गए। पूरे सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई।