- अगर कोई नेत्रहीन या दिव्यांग है और उन्हें बाहर जाना पड़ रहा है तो यह समाज का काम है कि वह उनसे दूरी बनाए ताकि उन्हें संक्रमण का खतरा न हो
- बुजुर्गों के लिए जरूरी है कि वह खुद अस्पताल जाने की बजाय टेलीमेडिसिन या किसी दूसरे इंसान को भेजकर परामर्श लें
Table of Contents
दैनिक भास्कर
May 27, 2020, 12:00 PM IST
अस्पतालों में ओपीडी जाने वाले लोग क्या ध्यान रखें, जिनमें लक्षण नहीं दिखते उनमें संक्रमण कितने दिनों तक रहता है और नेत्रहीन कैसे सोशल डिस्टेंसिंग रखें… ऐसे कई सवालों के जवाब सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एमके सेन ने आकाशवाणी को दिए। जानिए कोरोना से जुड़े सवाल और एक्सपर्ट के जवाब…
#1) कोरोना वायरस और शराब का क्या सम्बंध है?
कोई सम्बंध नहीं है। शराब या किसी प्रकार के धूम्रपान से शरीर कमजोर होता है, जिससे वायरस का संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ भ्रामक खबरें फैल रही हैं शराब के सेवन से संक्रमण नहीं होता, ये गलत है, बल्कि शराब पीने से कई दूसरी बीमारियां होने का खतरा रहता है।
#2) कोरोनावायरस की वैक्सीन 18 महीने से पहले क्यों नहीं आ सकती?
कोरोना नया वायरस है। जिसके बारे में जानकारी धीरे-धीरे आ आ रही है। ऐसा नहीं है कि वैक्सीन पर रिसर्च डेवलपमेंट नहीं हो रहा है। दुनियाभर में प्रयोग हो रहे हैं। इससे पहले कई वायरस आए जैसे चेचक, इनकी वैक्सीन भी कई सालों के शोध के बाद आई है। वैक्सीन को बाजार में आने से पहले कई चरण में पास होना जरूरी होता है। उसके बाद ही लोगों को दी जाती है। इसलिए थोड़ा वक्त लगेगा। लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही इससे जुड़ी अच्छी खबर मिलेगी।
#3) नेत्रहीन कैसे सोशल डिस्टेंसिंग रखें, कुछ लोग अनजाने से सम्पर्क हो जाने पर कैसे बचें?
अगर कोई नेत्रहीन या दिव्यांग है और किसी कारण से बाहर जाना पड़ रहा है तो यह समाज का काम है कि वह उनसे उचित दूरी बनाकर रखें क्योंकि वायरस से बचाव सबका कर्तव्य है। जिम्मेदारी है कि खुद के साथ दूसरों का भी ख्याल रखें। नेत्रहीन लोग स्टिक लेकर चलें जिससे सोशल डिस्टेंसिंग में परेशानी न हो।
#4) महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को संक्रमण अधिक हो रहा है, क्यों?
पूरी दुनिया में पुरुषों में कोरोनावायरस के संक्रमण ज्यादा देखे गए हैं। इसके लेकर कई थ्योरी सामने आई हैं लेकिन अब तक कोई सही जवाब नहीं मिल पाया है। लेकिन ऐसा नहीं है कि महिलाओं को संक्रमण का खतरा कम है।
#5) यात्रा करने लोग क्या सावधानी रखें?
अगर आप किसी भी बस, ट्रेन या आने वाले समय में हवाई यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो सबसे जरूरी है सावधानी बरतें। यात्रा के दौरान या पहले कोई लक्षण दिखता है तो यात्रा न करें। स्टेशन पर सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना जरूरी है। अगर बस से जा रहे हैं और बस भर गई है तो परेशान न हों और भीड़ न लगाएं। दूसरी बस का इंतजार करें। भीड़ में संक्रमण का खतरा रहता है। अपने साथ मास्क और सैनेटाइजर लेकर चलें।
#6) अस्पतालों में ओपीडी जाने वाले लोग क्या करें?
लॉकडाउन के दौरान ओपीडी खुली हुई हैं। यहां मरीज जा सकते हैं लेकिन बुजुर्गों के लिए जरूरी है कि वह खुद आने की बजाय टेलीमेडिसिन या किसी दूसरे इंसान को भेजकर परामर्श लें। लेकिन अगर बहुत जरूरी है तो इमरजेंसी हमेशा खुली रहती है वहां बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जाता है।
#7) जिनमें लक्षण नहीं दिखते उनमें संक्रमण कितने दिनों तक रहता है?
अगर कोई एसिम्प्टोमैटिक (जिनमें लक्षण नहीं दिखते) है तो ये मानकर चलते हैं कि 14 दिन में उसमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दे तो उसका शरीर वायरस से लड़ने में कामयाब हो गया है। अगर वह जांच में फिर पॉजिटिव आए तो भी दो या तीन हफ्ते बाद उसमें दूसरों को संक्रमित करने की क्षमता नहीं होती।
#8) जिन संक्रमितों में लक्षण नहीं है, न जुकाम है न छींक आ रही हैं, तो वो कैसे दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं?
कोरोना का संक्रमण ज्यादातर सांस के जरिए होता है। जब कोई इंसान खांसता या छींकता है तो उसकी सांस से निकलने वाले छोटे कण हवा में थोड़ी देर तक रहते हैं और फिर आगे जाकर गिर जाते हैं। इसलिए एक मीटर की दूरी पर खड़े रहने को कहा जाता है। अब एसिम्प्टोमैटिक या प्री-सिम्प्टोमैटिक की बात करें तो जिनमें कोई लक्षण नहीं होते, ऐसे में उनके बोलने या लम्बी जम्हाई से भी वायरस के कण बाहर आ सकते हैं। इसलिए इनसे एक उचित दूरी बनानी है। बार-बार हाथ भी धोना न भूलें।