- चीन ने पोम्पियो के बयान पर विरोध जताया, कहा- अमेरिका तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा
- पोम्पियो ने कहा- चीन कानूनी रूप से समुद्री संसाधनों पर अपना दावा नहीं कर सकता है
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दैनिक भास्कर
Jul 14, 2020, 10:05 AM IST
वॉशिंगटन. ट्रम्प प्रशासन ने सोमवार को साउथ चाइना सी पर चीन के महत्वपूर्ण दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि 21वीं सदी में चीन के ‘दादागिरी’ की कोई जगह नहीं है। उसके दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है। दुनिया चीन को साउथ चाइना सी को अपने जल साम्राज्य के रूप में मानने की इजाजत नहीं देगी।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका दक्षिणपूर्वी एशियाई सहयोगियों के साथ खड़ा है। वह तटीय इलाकों में स्थित देशों के प्राकृतिक संसाधनों के अधिकारों की रक्षा के लिए उनके साथ है।
पोम्पियो ने कहा- चीन कानूनी रूप से समुद्री संसाधनों पर अपना दावा नहीं कर सकता है। चीन के अंतरराष्ट्रीय मान्यता वाले समुद्री इलाकों के अलावा उसके सभी दावे गैरकानूनी हैं। हालांकि, विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका जमीनी विवादों में आगे निष्पक्ष बना रहेगा।
चीन साउथ चाइना सी पर नियंत्रण की कोशिश कर रहा
उन्होंने कहा कि चीन गैरकानूनी तरीके से साउथ चाइना सी पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा है। इस क्षेत्र में अमेरिका शांति और स्थिरता बनाए रखने साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार समुद्र की स्वतंत्रता को बनाए रखने का पक्षधर है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन साउथ चाइना सी में दक्षिण पूर्व एशियाई तटीय देशों को धमकी देता है। साथ ही इस क्षेत्र पर एकतरफा प्रभुत्व का दावा करता है।
अमेरिका पर भड़का चीन
चीन ने अमेरिका के इस बयान पर आपत्ति जताई है। चीन के दूतावास ने कहा है कि विदेश मंत्री पोम्पियो तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं। उनका बयान पूरी तरह से न्यायोचित नहीं है। चीन इसका विरोध करता है।
क्या है साउथ चाइना सी विवाद
साउथ चाइना सी का यह इलाका इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच है, जो करीब 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। माना जाता है कि इस इलाके में प्राकृतिक संसाधनों की बहुलता है। हाल के कुछ सालों में चीन इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने के लिए बंदरगाह बनाए। साथ ही एक आर्टिफिशियल द्वीप बनाकर सैन्य अड्डा का निर्माण किया। चीन इस इलाके को अपना बताता है और अंतरराष्ट्रीय कानून को मानने से इनकार करता है। वहीं, इस क्षेत्र में चीन के अलावा फिलीपींस, ताईवान, मलेशिया, वियतनाम और ब्रुनेई भी अपना दावा करते हैं।
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