Strange IndiaStrange India


  • जिन देशों में लॉकडाउन प्रभावी नहीं रहा, वहां सेहत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ
  • पहले बिस्तर पर 7.7 मिनट कम गुजार रहे थे, लॉकडाउन में जल्दी सोने जाने लगे

दैनिक भास्कर

Jun 07, 2020, 04:20 PM IST

कोरोनावायरस के चलते देशभर में हुए लॉकडाउन से भले ही देश की रफ्तार धीमी हुई हो, लेकिन भारतीय युवाओं के स्वास्थ्य के लिए यह फायदेमंद रहा है। इस दौरान युवा घर में रहे और आराम किया, जिससे उनकी दिल की धड़कन की रफ्तार धीमी रही है। एक निजी फिटनेस ट्रैकिंग ब्रांड के डेटा के अनुसार देश में 18 से 29 साल की युवतियों के रेस्टिंग हार्ट रेट में प्रति मिनट 2.56 की गिरावट रही। इसी उम्र के युवकों की रेस्टिंग हार्ट रेट में प्रति मिनट 2.35 की गिरावट रही। यह सुनने में बहुत अधिक नहीं लगता, लेकिन आंकड़ों के हिसाब से यह काफी बड़ा बदलाव है। 

क्या है रेस्टिंग हार्ट रेट?

रेस्टिंग हार्ट रेट वह आंकड़ा है, जिसमें आपके आराम की स्थिति में आपका दिल धड़कता है। इससे व्यक्ति की फिटनेस और उसके दिल के स्वस्थ होने का पता चलता है। इसके जरिए विभिन्न बीमारियों का असर, उच्च तनाव का स्तर, नींद की परेशानी, डिहाइड्रेशन और सेहत संबंधी अन्य परेशानियाें का पता लगाने में भी मदद मिलती है। रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान लोगों को पर्याप्त नींद मिलने, तनाव और थकान में कमी आने से इसमें सुधार देखने को मिला है। इस दाैरान देश में हर व्यक्ति के सोने का वक्त औसतन 14 मिनट तक बढ़ा। यानी लाेगाें ने इस दाैरान अधिक नींद ली है। 

जिन देशों में लॉकडाउन प्रभावी नहीं, वहां सुधार नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अलावा मेक्सिको, स्पेन, फ्रांस और सिंगापुर के लोगों के दिल की सेहत में सबसे ज्यादा सुधार देखने को मिला है। वहीं स्वीडन में इसमें गिरावट रही है, जबकि ऑस्ट्रेलिया में मामूली सुधार दर्ज हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार स्वीडन जैसे देश में लॉकडाउन पूरी तरह प्रभावी नहीं रहा है, इसलिए वहां के लोगाें के दिल की धड़कन में बदलाव नहीं आया है। वहीं इस बीच दूसरे देशों की तुलना में ऑस्ट्रेलिया में सभी उम्र के लोगों की धड़कन में न के बराबर या बहुत कम सुधार हुआ।

 

पहले बिस्तर पर 7.7 मिनट कम गुजार रहे थे, लॉकडाउन में जल्दी सोने जाने लगे

रिपोर्ट के अनुसार सामान्य दिनों में भारतीय बिस्तर पर औसतन 7.7 मिनट कम गुजार रहे थे, यानी वे कम आराम कर पा रहे थे और नींद में भी कमी आ रही थी। लॉकडाउन के दौरान तमाम भारतीय घर पर रहे और वर्क फ्राॅम होम किया। इससे उनकी सेहत में सुधार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के दौरान युवा वीकेंड में जल्दी सोने जाने लगे, बल्कि सोने का समय भी लगभग निश्चित हो गया।



Source link

By AUTHOR

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *