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नई दिल्ली38 मिनट पहलेलेखक: हेमंत अत्री
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केवल आजाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी की लीडरशिप में बदलाव की मांग की थी। -फाइल फोटो
- 7 अगस्त को लिखी गई चिट्ठी में ‘फुल टाइम लीडरशिप’ की मांग की गई थी, जो ‘फील्ड में एक्टिव रहे और उसका असर भी दिखे’
- पिछली बार सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में राहुल गांधी के एक कथित बयान का विरोध करने वालों में गुलाम नबी सबसे आगे थे
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को पार्टी की वर्किंग कमेटी में बड़े बदलाव किए। महासचिव पद से गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और लुइजिन्हो फैलेरियो को हटा दिया गया है।
इनमें से गुलाम नबी आजाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सोनिया को चिट्ठी लिखी थी।माना जा रहा है कि ये बदलाव राहुल की ताजपोशी का रास्ता साफ करने के लिए किए गए हैं, क्योंकि चिट्ठी लिखने वाले नेता लीडरशिप में बदलाव चाहते थे। 7 अगस्त को लिखी गई चिट्ठी में ‘फुल टाइम लीडरशिप’ की मांग की गई थी, जो ‘फील्ड में एक्टिव रहे और उसका असर भी दिखे’।
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि फुलटाइम लीडरशिप और फील्ड में असर दिखाने वाली एक्टिवनेस जैसे शब्दों का इस्तेमाल इस तरफ इशारा कर रहा था कि कांग्रेस का एक गुट दोबारा राहुल गांधी की ताजपोशी नहीं चाहता था। इसी ‘लेटर बम’ के बाद सोनिया गांधी ने अब संगठन में बड़े बदलाव कर दिए हैं।
सबसे बड़ा झटका आजाद को
सबसे बड़ा झटका गुलाम नबी आजाद को लगा है। वे राज्यसभा में अभी विपक्ष के नेता हैं। पिछली बार सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में राहुल गांधी के एक कथित बयान का विरोध करने वालों में गुलाम नबी सबसे आगे थे। माना जा रहा है कि उन्हें अब राज्यसभा का दोबारा टिकट मिल पाना भी मुश्किल है।
सोनिया को मदद करने वाली संचालन समिति में 6 नेता, अनुभव को तरजीह
सोनिया ने पार्टी में नेतृत्व में बदलाव के लिए एक कमेटी का गठन करने का सुझाव दिया था। इस आधार पर 6 लोगों की कमेटी बनाई गई है। इसे संचालन समिति कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि यही कमेटी अब राहुल गांधी की ताजपोशी और पार्टी संगठन में नए बदलावों का रास्ता साफ करेगी। इस कमेटी में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद अहमद पटेल, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक को शामिल किया गया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को सबसे बड़ा प्रमोशन मिला है। वे भी इस कमेटी में शामिल िकए गए हैं। उम्र की वजह से महासचिव पद से हटाई गईं अंबिका सोनी को इस कमेटी में जगह मिली है।
उम्र की वजह से ये 4 नेता हटाए गए
मोतीलाल वोरा: ये गांधी परिवार के सबसे भरोसमंद नेताओं में से एक हैं। लंबे समय तक पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे हैं। अब 92 साल के हो गए हैं।
अंबिका सोनी: केंद्रीय मंत्री रही हैं। सोनिया गांधी की भरोसेमंद रही हैं। 77 साल उम्र हो चुकी है।
मल्लिकार्जुन खड़गे: पिछली लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे। 2019 में चुनाव हार गए। 78 साल के हो चुके हैं।
लुईजिन्हो फलेरियो: गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। 69 साल उम्र है।
राहुल के लिए रास्ता साफ कैसे, इसे इस तरह समझें
1. सीडब्ल्यूसी की बैठक में ही मिल गए थे संकेत
23 नेताओं की चिट्ठी की टाइमिंग पर राहुल ने सवाल उठाया था और कहा था कि यह भाजपा की मिलीभगत से हुआ। इस पर गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने खुलकर विरोध किया। हालांकि, बाद में सिब्बल ने अपना ट्वीट और आजाद ने अपना इस्तीफे वाला बयान वापस ले लिया।
2. बैठक में ही बैकफुट पर कर दिए गए थे चिट्ठी लिखने वाले
सवाल उठता है कि जब राहुल के बयान के बारे में पार्टी नेता कन्फर्म ही नहीं थे, तो उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी क्यों जाहिर की?
दरअसल, सीडब्ल्यूसी की बैठक में 51 नेता शामिल हुए, लेकिन इनमें सोनिया को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की संख्या सिर्फ 4 थी। उन्हें बैकफुट पर कर दिया गया। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि बिखराव रोकने और डैमेज कंट्रोल के तहत इन नेताओं से बयान वापस लेने को कहा गया। अंबिका सोनी जैसे कुछ नेताओं ने सोनिया से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर डाली।
3. अध्यक्ष पद पर आगे क्या होगा?
सोनिया गांधी अभी अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि अगले साल की शुरुआत में पंजाब या छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सत्र होगा। इसमें राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष चुना जाना तय है।
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