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वॉशिंगटनएक घंटा पहले

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माइक्रोसाफ्ट और गूगल जैसी कंपनियां ग्लोबल नेटवर्क में सबसे ऊपर होने की वजह से किसी भी संदेह वाली गतिविधी की सबसे पहले पहचान कर लेती हैं।

  • चीन का बाइडेन कैम्पेन को निशाना बनाना हैरानी वाली बात
  • रूस की मिलिट्री इंटेलीजेंस जीआरयू के हैकर सबसे खतरनाक

अमेरिका में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, विदेशी दखल बढ़ता जा रहा है। अमेरिका की खुफिया एजेंसियों, फेसबुक और ट्विटर के बाद अब माइक्रोसॉफ्ट ने भी इसको लेकर चेतावनी दी है। रूस के साथ चीन और ईरान के हैकर भी डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के कैम्पेन स्टाफ, कंसल्टेंट और थिंक टैंक को निशाना बना रहे हैं।

हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट ने एक हैरानी वाली बात बताई है। वह यह कि चीन के हैकर ट्रम्प कैम्पेन से ज्यादा बाइडेन के कैम्पेन को निशाना बना रहे हैं। वहीं ईरान ट्रम्प के कैम्पेन को हैक करने की कोशिश में है जबकि, रूस दोनों पार्टियों को निशाना बना रहा है।

बाइडेन कैम्पेन को हैक करने की कोशिश में चीन
पिछले महीने नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर ने कहा था कि चीन चाहता है कि डेमोक्रेटिक कैंडिडेट जो बाइडेन 2020 का चुनाव जीतें। हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट ने दूसरी बात बताई है। उसके मुताबिक चीनी हैकर जो बाइडेन के कैम्पेन टीम के लोगों के प्राइवेट मेल को हैक करने की कोशिश में हैं।

साथ ही एकेडमिक और नेशनल सिक्युरिटी से जुड़े लोग भी उनके निशाने पर हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने बताया कि चीनी हैकरों के टारगेट में ट्रम्प से जुड़ा केवल एक ही अधिकारी है। हालांकि, उसका नाम नहीं बताया गया है।

रूस 2016 की तुलना में ज्यादा खुफिया तरीका अपना रहा
माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, रूस की मिलिट्री इंटेलीजेंस यूनिट जीआरयू इस बार ज्यादा खुफिया तरीका अपना रही है। इसका मकसद है कैम्पेन से जुड़े लोगों के मेल हैक करो और उसे लीक करो। 2016 में हिलेरी क्लिंटन के कैम्पेन के ईमेल भी हैक करके लीक किए गए थे।

रूसी हैकर टॉर (एक सॉफ्टवेयर) के जरिए अटैक कर रहे हैं। इससे हैकरों की पहचान आसानी से नहीं होती है। माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, चीन और ईरान के हैकरों का भी दखल है, लेकिन उतना नहीं जितना राष्ट्रपति ट्रम्प और उनकी पार्टी के लोग बता रहे हैं।

बाइडेन कैम्पेन का ट्रम्प पर हमला
माइक्रोसॉफ्ट की चेतावनी के बाद बाइडेन कैम्पेन ने ट्रम्प पर निशाना साधा है। बाइडेन के लंबे समय से फॉरेन पॉलिसी एडवाइजर एंटनी जे ब्लिंकन ने कहा कि चीन ट्रम्प को एक बार फिर से चुनाव जीतते देखना चाहता है। इसके पीछ बड़ी साफ वजहें हैं। ट्रम्प ने चीन की कई तरह से मदद की है। उन्होंने अमेरिका के सहयोगियों को कमजोर किया।

दुनिया में ऐसी जगह खाली छोड़ी, जिसे चीनी भर रहा है। हॉन्गकॉन्ग और शिनजियांग में मानवाधिकार के हनन को मान्यता दी। उन्होंने कहा- ट्रम्प ने खुद माना है कि उन्होंने कोविड-19 की गंभीरता जानते हुए भी झूठ बोला। यह सब चीन को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।

ईरानी हैकरों के निशाने पर ट्रम्प कैम्पेन
माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, ईरान के हैकर भी चुनावों को प्रभावित करने में जुटे हैं। उनके टारगेट पर ट्रम्प कैम्पेन के लोग हैं। माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, उसने ईरान के हैकर्स द्वारा उपयोग में लाए जा रहे 155 वेब डोमेन्स को कब्जे में ले लिया है। मई और जून से ही ईरान के हैकर्स ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों के ईमेल अकाउंट हैक करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, उन्हें अभी सफलता नहीं मिली है।

रूसी हैकर सबसे खतरनाक
माइक्रोसॉफ्ट की चेतावनी के मुताबिक, चीन और ईरान के हैकरों की तुलना में रूस की जीआरयू के हैकरों से खतरा सबसे ज्यादा है। माइक्रोसॉफ्ट की चेतावनी से ठीक पहले ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने रूस की संसद के तीन और यूक्रेन की संसद के एक मेंबर पर प्रतिबंध लगाए हैं। इन पर आगामी चुनावों को प्रभावित करने के आरोप हैं। विभाग ने बयान में कहा- रूस कई तरह से चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।

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