Strange IndiaStrange India


  • मोगा जिले के गांव काईला के हरजिंदर सिंह को पिता ने जमीन बेचकर पढ़ाया, लेकिन नौकरी नहीं मिली
  • संगरूर जिले के गांव खेड़ी कलां की गुरमीत कौर ने बीए, बीएड, डबल एमए और 2 बार टीईटी पास कर चुकी है
  • 10 सदस्यों के परिवार का पेट पाल रहे अमृतसर के पंजाबी गायक-कलाकार जीत कोटली और प्रीत कोटली बेच रहे सब्जी

राकेश कुमार

Jun 24, 2020, 06:26 PM IST

जालंधर. कोरोना से बचने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन का पंजाब में साइड इफेक्ट नजर आ रहा है। सूबे धान की रोपाई का काम शुरू हो चुका है और यह काम पंजाबियों को खुद करना पड़ रहा है। पहले प्रवासी मजदूर घर को लौट गए और अब राज्य में मजदूरों की कमी खल रही है। इसी अभाव के बीच पंजाब के वो युवा धान लगाते देखे जा सकते हैं। धान रोपने वालों में कोई एमए तो कोई बीएड पास है। टीईटी पास भी खेतों में पसीना बहाते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं लाखों कमाने वाले पंजाबी सिंगर भी बेकार बैठे हैं। इस वर्ग में भी कई चेहरों को चिलचिलाती धूप के बीच खेतों में देखा जा सकता है।

मोगा में खेत में धान रोपते पंजाबी युवक। ये सभी पढ़े-लिखे, मगर बेरोजगार हैं। नौकरी नहीं मिलने लॉकडाउन में मजदूर उपलब्ध नहीं होने के चलते ये ऐसा करने पर मजबूर हैं।

दैनिक भास्कर को मोगा जिले के गांव काईला के हरजिंदर सिंह, कृष्णपुरा के सिमरनजीत सिंह और गुरप्रीत सिंह ने बताया कि ये लोग एमए, बीएड, टीईटी और दूसरी मास्टर डिग्री किए बैठे हैं। बावजूद इसके खेतों में धान की रोपाई के काम में जुटे हैं। ऐसा करने के पीछे की वजह की बात करें तो गुजर-बसर के लिए परिवार की मदद करना इनकी मजबूरी है।
गुरप्रीत ने बताया कि उसके पिता भी मजदूरी करते हैं। हरजिंदर का कहना है कि उसे भी पढ़ाने के लिए उसके पिता ने अपनी जमीन तक बेच डाली और फिर खुद मजदूरी शुरू कर दी। देखा जाए तो तीनों के पिता इनसे सरकारी नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे थे, पर पंजाब सरकार ने ऐसे ही हजारों नौजवानों को बिना नौकरी अभी मजदूरी करने के लिए मजबूर कर दिया। गुरप्रीत सिंह तो शारीरिक रूप से अक्षम भी है, लेकिन फिर भी नौकरी नहीं मिली।

मजदूरों की कमी पूरी करने के लिए धान लगा रहे एमए-बीएड और टीईटी पास पंजाबी, 1 लाख रुपए महीना कमाने वाले सिंगर भी बेरोजगार 1
संगरूर जिले के गांव खेड़ी कलां में पढ़ी-लिखी बेरोजगार युवती गुरमीत कौर एक खेत में काम करते हुए।

संगरूर जिले के गांव खेड़ी कलां की गुरमीत कौर ने बीए, बीएड, डबल एमए और 2 बार टीईटी पास कर चुकी है, लेकिन लंबा समय बीत जाने के बावजूद उसे अभी तक नौकरी नहीं मिली। अब अन्य महिलाओं की तरह खेतों में धान की फसल लगाने वाली एक मजदूर बनकर रह गई है। इसी तरह बेरोजगार नौजवान राजपाल सिंह वह ग्रेजुएशन के बाद ईटीटी और टीईटी पास है। इन दिनों कोई कामकाज न मिलने के कारण वह अब खेतों में अपने दोस्तों के साथ धान लगाकर घर का गुजारा चला रहा है।

मजदूरों की कमी पूरी करने के लिए धान लगा रहे एमए-बीएड और टीईटी पास पंजाबी, 1 लाख रुपए महीना कमाने वाले सिंगर भी बेरोजगार 2
गली-गली घूमकर सब्जी बेचने को मजबूर अमृतसर के पंजाबी गायक-कलाकार जीत कोटली। 

पंजाबी सिंगर्स के लिए भी बुरे दिन आए, कोई लगा रहा धान तो कोई बचे रहा सब्जी
मुक्तसर में पंजाबी सिंगर सुखदीप सिंह बताते हैं कि कोरोना महामारी से पहले वह हर महीने 25 से 30 हजार रुपए जागरण व दूसरे स्टेज प्रोग्राम से कमा लेते थे, लेकिन अब कोई प्रोग्राम ही नहीं हो रहा तो फिर काम कहां से आएगा। वह एकदम बेरोजगार है और घर का गुजर चलाने के लिए इन दिनों धान लगा रहा है।

10 सदस्यों के परिवार का पेट पाल रहे अमृतसर के पंजाबी गायक-कलाकार जीत कोटली और प्रीत कोटली ने बताया कि जब से राज्य में कोरोना की महामारी फैली और कर्फ्यू लगा, तब ही से वो बेरोजगार हैं। मजबूरन सब्जी का ठेला लेकर गली-गली घूमना पड़ रहा है, शाम तक हाथ में जो आता है, उसी से घर का चूल्हा-चौका चलता है। उन्होंने यह भी बताया कि पूरे पंजाब में डेढ़ लाख के करीब छोटे-बड़े लोक गायक हैं। इनमें से हर कोई गांव-कस्बे में कहीं न कहीं अखाड़ा लगाकर 1 लाख रुपए महीना तक कमा लेता है, लेकिन फिलहाल सब दाने-दाने के मोहताज हैं।



Source link

By AUTHOR

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *