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  • डब्ल्यूएचओ ने कहा- एसिम्प्टोमैटिक मरीजों में ज्यादातर युवा और स्वस्थ लोग शामिल
  • संगठन ने कहा- अभी फोकस लक्षण वाले मरीजों पर, इन्हें कंट्रोल किया तो आंकड़ा तेजी से गिरेगा

दैनिक भास्कर

Jun 09, 2020, 04:11 PM IST

जेनेवा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि कोरोना के बिना लक्षण वाले (एसिम्प्टोमैटिक) मरीजों से यह बीमारी दूसरों में मुश्किल से फैलती है। संगठन ने कहा कि हमारे पास जो आंकड़े हैं, उससे यह बात साबित होती है। पिछले कुछ समय से शोधकर्ता एसिम्प्टोमैटिक मरीजों पर संदेह जता रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे मरीज बीमारी से निपटने में परेशानी बने हुए हैं।

महामारी की शुरुआत में इस बात के प्रमाण मिले थे कि कोरोनावायरस एक संक्रमित इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है, भले ही उसमें लक्षण दिख रहे हों या नहीं। इस पर डब्ल्यूएचओ की महामारी विशेषज्ञ डॉ. मारिया वेन ने सोमवार को कहा कि एसिम्प्टोमैटिक मरीजों से भी संक्रमण फैल सकता है, लेकिन दुनिया में जिस तरह मामले बढ़ रहे हैं उसकी वजह ये मरीज नहीं हैं। उन्होंने कहा कि खासकर युवाओं और दूसरे स्वस्थ लोगों में इस संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते या बहुत हल्के होते हैं। 

सरकार संक्रमितों की पहचान पर फोकस करें

डॉ. मारिया ने कहा कि हमारे पास कई देशों से रिपोर्ट आई हैं कि नर्सिंग होम या घरों में एसिम्प्टोमैटिक मरीजों से संक्रमण फैला है। इसका सटीक जवाब जानने के लिए अभी ज्यादा रिसर्च और ज्यादा डेटा सामने आना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस समय सरकारों का फोकस संक्रमितों का पता लगाने और उन्हें आइसोलेट करने पर होना चाहिए। मरीजों के सम्पर्क में आने वालों पर नजर रखना भी जरूरी है। 

अभी फोकस लक्षण वाले मरीजों पर

डॉ. मारिया वेन ने कहा कि अभी हमारा फोकस केवल लक्षण वाले मरीजों पर है। अगर हम लक्षण वाले मरीज, आइसोलेशन और क्वारैंटाइन के मामले और इनसे होने वाले दूसरे मामलों को कंट्रोल कर ले गए तो महामारी का आंकड़ा तेजी से गिरेगा। 



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