- विक्ट्री डे परेड में रूस के 13 हजार सैनिक 234 आर्मर्ड व्हीकल, मिसाइल और टैंकों के साथ मार्चपास्ट करेंगे
- विक्ट्री डे नाजियों से यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक्स (यूएसएसआर) की जीत की याद में मनाया जाता है
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दैनिक भास्कर
Jun 24, 2020, 09:06 AM IST
मॉस्को. रूस बुधवार को अपना 75 वां विक्ट्री डे परेड निकालेगा। भारतीय समयानुसार दोपहर 12.30 बजे निकाली जाने वाली इस परेड में भारतीय सेना की 75 सदस्यों वाली टुकड़ी शामिल होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसमें हिस्सा लेंगे। वे इसके लिए दो दिन पहले ही रूस पहुंच गए थे। चीन समेत कई दूसरे देशों के नेताओं को भी इस आयोजन में शामिल होने का न्यौता दिया गया है। रूस हर साल जर्मनी के नाजियों से यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक्स (यूएसएसआर) की जीत की याद में विक्ट्री डे मनाता है।
इस परेड में रूस के 13 हजार सैनिक 234 आर्मर्ड व्हीकल, मिसाइल और टैंकों के साथ मार्चपास्ट करेंगे। 75 प्लेन फ्लाइपास्ट में हिस्सा लेंगे। रूसी सेना अपना दमखम दिखाने के लिए टैंक और मिसाइलों के साथ मार्च पास्ट करेगी। इसमें पूर्व सोवियत गण राज्य( सोवियत रिपब्लिक) में शामिल चीन, मंगोलिया और सर्बिया जैसे देशों की सेना की कुछ टुकरियां भी शामिल होंगी।
इस साल तय समय से नहीं हो सकी विक्ट्री डे परेड
इस साल रूस अपना विक्ट्री डे तय समय से 9 मई को नहीं मना सका। कोरोना की वजह से रूस में लॉकडाउन लगाया गया था। ऐसे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विक्ट्री डे परेड का समय आगे बढ़ाने की घोषणा की थी। अब रूस की राजधानी मॉस्को में कुछ पाबंदियां हटाई गई हैं। हालांकि, पाबंदियों में राहत सिर्फ परेड के लिए है। मॉस्को के मेयर सर्गेइ सोबयानिन ने लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों में ही रहें और परेड टेलीविजन पर देखें। परेड देखने के लिए बुलाए गए पूर्व सैनिकों को भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए एक दूसरे से दूर-दूर बैठाया जाएगा।
पुतिन के लिए अहम है इस साल की परेड
इस हफ्ते रूस में संविधान में बदलाव के लिए वोटिंग होने वाली है। इससे पुतिन के 2024 के बाद भी सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ हो सकता है। इसलिए इस साल की विक्ट्री डे परेड पुतिन के लिए अहम मानी जा रही है। पुतिन देश में राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए विक्ट्री डे को काफी तवज्जो देते हैं। उन्होंने 2008 से इस परेड में हथियारों और टैंकों को शामिल करने की शुरुआत की। पुतिन ने इस परेड में शीत युद्ध में रूसी सेना की निशान के तौर पर इस्तेमाल किए गए काले और नारंगी रंग के सेंट जॉर्ज रिब्बन लगाने को भी बढ़ावा दिया।