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  • गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 60 साल से ऊपर के संक्रमितों को पूरी जांच के बाद ही होम आइसोलेशन में रखा जाएगा
  • तीमारदार, संपर्क में आने वाले लोग प्रोटोकॉल और डॉक्टर की सलाह पर हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन प्रोफेलेक्सिस ले सकते हैं

दैनिक भास्कर

Jul 02, 2020, 10:58 PM IST

नई दिल्ली. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार को कोरोना मरीजों को होम आइसोलेशन में रखने के लिए गाइडलाइन जारी की। गाइडलाइन के मुताबिक, ऐसे मरीज जिनमें कोरोना के हल्के लक्षण हैं, शुरुआती लक्षण हैं या फिर लक्षण नहीं हैं, उन्हें अपने घर पर आइसोलेट होना होगा। उनके संपर्क में आने वाले लोगों को भी क्वारैंटाइन में जाना होगा।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि घर में कोरोना संक्रमित की हर वक्त देखभाल करनी होगी और उसके तीमारदार को भी लगातार अस्पताल के संपर्क में बना रहना होगा।

नई गाइडलाइन
1. अगर कोई कोरोना संक्रमित एचआईवी, अंग प्रत्यारोपण और कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज करवा रहा है तो उसे होम आइसोलेशन में नहीं भेजा जा सकता है।
2. गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 60 साल से ऊपर की आयु वाले मरीज को मेडिकल अफसर द्वारा पूरी जांच किए जाने के बाद ही होम आइसोलेशन में रखा जाएगा। इस दौरान तीमारदार को हर वक्त देखभाल करनी होगी और लगातार अस्पताल के संपर्क में बने रहना होगा।
3. ऐसे मामलों में तीमारदार और संपर्क में आने वाले लोग प्रोटोकॉल और डॉक्टर की सलाह के आधार पर हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन प्रोफेलेक्सिस की डोज ले सकते हैं।
4. आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना जरूरी है और इसे हर वक्त एक्टिव रखना होगा।
5. मरीज को रोजाना अपने स्वास्थ्य की जांच करनी होगी और लगातार इस बारे में अधिकारियों को भी सूचित करना होगा।
6. मरीज को सेल्फ आइसोलेशन में जाने के लिए अंडरटेकिंग देनी होगी और क्वारैंटाइन गाइडलाइन का पालन करना होगा। उसके होम आइसोलेशन की मंजूरी देने से पहले इलाज करने वाले डॉक्टर का संतुष्ट होना भी जरूरी है।

मरीज के लिए गाइडलाइन
1. मरीज को हर वक्त ट्रिपल लेयर मास्क पहनना होगा। इन्हें 8 घंटे के भीतर बदलना होगा। अगर ये गीले और नम हो जाते हैं तो इससे पहले ही इन्हें बदलना होगा।
2. इस्तेमाल के बाद मास्क को जहां भी डाला जाएगा तो उससे पहले उसे 1% सोडियम हाईपोक्लाइड से डिसइन्फैक्ट करना होगा।
3. मरीज एक तय कमरे में ही रहेगा और घर के दूसरे सदस्यों से दूर रहेगा। खासतौर से बुजुर्गों और ऐसे लोगों से जो पहले से बीमारियों से पीड़ित हों।
4. मरीज को आराम करना जरूरी है और उसे ढेर सारा फ्लुइड पीना होगा ताकि उसके शरीर में पानी की कोई कमी ना हो।
5. मरीज को खांसते और छींकते वक्त भी गाइडलाइन का पालन करना होगा।
6. टेबल, कुर्सी, दरवाजों के हैंडल आदि को लगातार डिसइन्फैक्ट करना जरूरी है।
7. मरीज को डॉक्टर की हिदायतों का सख्ती से पालन करना होगा।
8. उसे रोज अपने स्वास्थ्य की जांच करनी होगी। टेम्परेचर नापना होगा और अगर कोई लक्षण नजर आता है तो तुरंत सूचना देनी होगी।

तीमारदार के लिए गाइडलाइन
मास्क: तीमारदार को ट्रिपल लेयर मास्क पहनना होगा। मास्क के अगले हिस्से को किसी भी स्थिति में नहीं छूना होगा। अगर मास्क गंदा या गीला होता है तो इसे तुरंत बदलना होगा। मास्क इस्तेमाल के बाद फेंक दें और इसके बाद हाथ जरूर साफ करें। तीमारदार को अपना मुंह, नाक और चेहरा छूने से बचना होगा।

हैंड हाईजीन: मरीज के संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को हाथ साफ करने का ध्यान रखना होगा। खाना खाने से पहले, बाद में, टॉयलेट के इस्तेमाल के बाद और जब भी हाथ गंदे दिखेें, तब उन्हें साफ करना होगा। हाथ धोने के बाद उन्हें पोछने के लिए पेपर टॉवेल का इस्तेमाल करें। अगर यह नहीं हैं तो तौलिए से हाथ पोछें और जब ये गीले हो जाएं तो इन्हें बदल दें। ग्लव्स पहनने से पहले और उतराने के बाद हाथ जरूर धोएं।

मरीज की तीमारदारी या पास जाने की गाइडलाइन
1. मरीज के बॉडी फ्लुइड्स के सीधे संपर्क में ना आएं। मरीज को उठाते या बैठाते वक्त ग्लव्स जरूर पहनें।
2. मरीज के कमरे में रखे बर्तनों में खाना ना खाएं, उसका छोड़ा हुआ खाना ना खाएं। सिगरेट या पानी शेयर ना करें। मरीज के इस्तेमाल की गई चादरें खुद इस्तेमाल ना करें।
3. मरीज को खाना उसके कमरे में ही दिया जाए। मरीज के बर्तनों को साबुन या डिटर्जेंट से साफ करें और इस दौरान भी ग्लव्स जरूर पहनें। बर्तनों और थालियों का दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
4. मरीज द्वारा इस्तेमाल किए गए कपड़े, चादरों को धोते वक्त भी ट्रिपल लेयर मास्क और ग्लव्स पहनें। ग्लव्स उतारने और पहनने से पहले हाथ जरूर धोएं। कपड़ों, मास्क और ऐसे सामानों को डिस्पोज करते वक्त सीपीसीबी की गाइडलाइन का ध्यान रखें। 

इन स्थितियों में तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत
1. तीमारदार लगातार मरीज की देखभाल करेगा और संक्रमण के लक्षण नजर आने पर तुरंत मेडिकल अटेंशन (डॉक्टर को जानकारी देना या अस्पताल ले जाना) देनी होगी।
2. सांस लेने में तकलीफ होने पर, ऑक्सीजन में कमी होने पर, सीने में लगातार दर्द या दबाव होने पर, दिमागी उलझन या उत्तेजना होने पर, आवाज लड़खड़ाने पर या बंद होने पर, चेहरे या किसी भी अंग में दर्द होने पर, चेहरे या होठों पर नीलापन आने पर मरीज को तुरंत मेडिकल अटेंशन देनी होगी।

अधिकारियों का यह रोल होगा
1. राज्य और जिलों को होम आईसोलेशन के मामलों को मॉनीटर करना होगा। फील्ड स्टाफ और निगरानी टीम ऐसे मामलों को मॉनीटर करेगी। एक कॉलसेंटर के जरिए से मरीज का रोजाना फॉलोअप लेना होगा।
2. फील्ड स्टाफ मरीज के स्वास्थ्य जांच का रिकॉर्ड रखेगा। यह स्टाफ मरीज को सलाह और तीमारदार को भी जानकारियां देगा। होम आईसोलेशन में रखे गए मरीज की जानकारी कोविड-19 पोर्टल पर भी अपडेट की जाएगी। इस पोर्टल के अपडेशन पर वरिष्ठ अधिकारी नजर रखेंगे।
3. गाइडलाइन का पालन ना करने पर, या इलाज की जरूरत होने पर मरीज को शिफ्ट करने की प्रक्रिया भी तय की जानी चाहिए। इसका मैकेनिज्म हो।
4. फील्ड स्टाफ मरीज के परिजन और उसके संपर्क में आने वालों की भी जांच करेगा। उनकी निगरानी प्रोटोकॉल के मुताबिक की जाएगी।



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