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  • अगर बुजुर्ग बाहर टहलने के लिए परेशान हैं तो जा सकते हैं लेकिन तब जाएं जब बाहर भीड़ न हो, पार्क में जाएं तो मास्क पहनें
  • लॉकडाउन खुलने के बाद केस बढ़े हैं इसलिए लोगों को खुद को संक्रमण से बचने और बचाने की जिम्मेदारी लेनी होगी

दैनिक भास्कर

May 27, 2020, 04:54 PM IST

अगर थर्मल स्क्रीनिंग करा रहे हैं तो भी कोरोना से बचाव की सारी सावधानियां बरतनी जरूरी है, यह कहना है कि आरएमएल हॉस्पिटल नई दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ. एके वार्ष्णेय का। जानिए कोरोना से जुड़े सवाल और आकाशवाणी को दिए एक्सपर्ट के जवाब…

#1) सवाल : क्या थर्मल स्क्रीनिंग भी कोरोना का लक्षण बताती है?

यह केवल शरीर का तापमान यानी बुखार है या नहीं इसकी जानकारी देती है। जो संक्रमित हैं और लक्षण नहीं दिख रहे उनका तापमान सामान्य आएगा, इसलिए स्क्रीनिंग के बावजूद सावधानी बरतनी जरूरी है। ये मानकर न चलें कि बगल वाले से संक्रमण नहीं हो सकता। 

#2) क्या नमी में कोरोनावायरस ज्यादा फैलता है?
25-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान और करीब 40 फीसदी ह्यूमिडिटी कोरोनावायरस के लिए अनुकूल वातावरण है। कई लोग मानते हैं कि वातावरण का तापमान 40-45 डिग्री होने पर कोरोना नष्ट हो जाएगा लेकिन इसे समझने की जरूरत है। अगर कोई खांसता या छींकता है तो उसके मुंह से निकलने वाले कण जो बाहर गिरे हैं वह नष्ट होगें। लेकिन जो वायरस शरीर के अंदर चला गया है वो नष्ट नहीं होगा क्योंकि शरीर का तापमान 37 डिग्री के करीब रहता है।

#3) बुजुर्ग बाहर जाने के लिए परेशान हैं, ऐसे में क्या करें?
वायरस का संक्रमण ज्यादातर उनमें होता है जिनकी इम्युनिटी कम है। इसमें बुजुर्ग ज्यादा आते हैं क्योंकि उनमें उम्र के साथ कई बीमारियां हो जाती हैं। इसलिए उन्हें बाहर जाने से मना किया जा रहा है। अगर वो बाहर टहलने के लिए परेशान हैं तो जा सकते हैं लेकिन तब जाएं जब बाहर भीड़ न हो। पार्क में जाएं तो मास्क पहनें। किसी के साथ न जाएं। अकेले टहलें। पार्क में मौजूद लोगों से दूरी बनाकर रहें।

#4) वायरस में वैक्सीन का क्या रोल है?
वैक्सीन का काम वायरस की सक्रियता को या तो कम करना होता है या फिर उसे नष्ट करना होता है। ऐसी वैक्सीन जब इंजेक्शन या ड्रॉप के रूप में दी जाती है तो उस बीमारी के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तैयार करती है। यह एंटीबॉडी वायरस को खत्म करती है। कोविड-19 से लड़ने के लिए भी एंटीबॉडी बनाने की कोशिश जारी है। जिनके शरीर की इम्युनिटी अच्छी है वो कई दिनों तक वायरस से लड़ने सफल होते हैं। जिनके शरीर में ऐसा नहीं होता वो गंभीर रूप से बीमार पड़ते हैं।

#5) वायरस से ठीक होने की दर 41 फीसदी तक पहुंच गई है, इसे कैसे देखते हैं?
जब तक हमारे देश में पूरी तरह लॉकडाउन था, संक्रमण के मामले काफी कम थे। लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद आवाजाही शुरू होने पर केस बढ़ने लगे हैं। इसलिए लोगों को खुद को संक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी लेनी होगी। मास्क लगाने से संक्रमण की दर 20 फीसदी तक रहती है। इसलिए लोगों से दूरी बनाकर रहें। देश में केस बढ़ने के साथ ठीक होने वाले भी बढ़ रहे हैं। 90 फीसदी लोग देर-सवेर ठीक हो रहे हैं। मृत्यु दर करीब 20 फीसदी है।



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