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  • जब एक मरीज से कई लोग संक्रमित होते हैं तो उसे सुपर स्प्रेडर माना जाता है
  • चीन, अमेरिका, भारत समेत कई देशों में सुपर स्प्रेडरों ने एकदम से मामले बढ़ाए

दैनिक भास्कर

Jun 27, 2020, 11:45 PM IST

नई दिल्ली. दुनियाभर में कोरोनावायरस के एक करोड़ मामले सामने आ चुके हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि खतरा अब ज्यादा है। संक्रमण अब यूरोप में कम हो रहा है, जबकि एशिया और लैटिन अमेरिका में फैल रहा है।

संक्रमण पर अगर काबू पाना है तो सुपर स्प्रेडर से बचना बहुत जरूरी है। जब एक मरीज से कई लोग संक्रमित होते हैं तो उस मरीज को सुपर स्प्रेडर माना जाता है। कई देशों में ऐसे ही सुपर स्प्रेडर की वजह से अचानक मामले बढ़े हैं। साउथ कोरिया में संक्रमण की दूसरी लहर के लिए सुपर स्प्रेडर ही जिम्मेदार है।

अप्रैल तक यहां कोरोना पर काबू पा लिया गया था और न के बराबर मामले आ रहे थे। मई के पहले हफ्ते में ही सियोल में एक 29 साल का कोरोना संक्रमित युवक नाइट क्लब में गया। उसने 229 लोगों को संक्रमित किया। प्रशासन को सात हजार से ज्यादा लोगों की तुरंत टेस्टिंग करनी पड़ी और फिर से मॉल, नाइट क्लब और बॉर बंद करने पड़े।

जनवरी के महीने में चीन में भी एक  सुपर स्प्रेडर मरीज ने 14 मेडिकल वर्कर्स को संक्रमित कर दिया था। 

भारत, अमेरिका और साउथकोरिया में सुपर स्प्रेडर

भारत. यहां कई राज्यों में सुपर स्प्रेडर के मामले सामने आए हैं। मार्च की शुरुआत में इटली और जर्मनी की यात्रा करके पंजाब लौटे एक बुजुर्ग सुपर स्प्रेडर बने। इस दौरान भारत में केवल 640 मामले थे। बुजुर्ग ने क्वारैंटाइन होने की सलाह नहीं मानी। वह सिख त्योहारों और बड़े आयोजनों में शामिल हुए। इसके बाद उनकी तबियत खराब हुई अस्पताल में मौत हो गई। उनके 19 रिश्तेदार तो तुरंत संक्रमित पाए गए। पुलिस ने उनकी चपेट में आने वाले 550 लोगों को पहचाना, जिसमें कई संक्रमित पाए गए। 

  • मई की शुरुआत में ही दिल्ली के कापसहेड़ा इलाके में एक बिल्डिंग से 41 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले थे। ये लोग भी एक ही मरीज के संपर्क में आने से संक्रमित हुए
  • जून में जयपुर के सुभाष चौक से एक ही मकान से 26 लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। यहां भी संक्रमण सुपर स्प्रेडर से ही फैला

अमेरिका. न्यूयॉर्क शहर में 27 फरवरी को गार्बुज नाम के एक आदमी को निमोनिया जैसे लक्षण मिलने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह कोरोना पॉजिटिव मिला। एक हफ्ते के अंदर न्यूयॉर्क में संक्रमण के 170 मामले आए, जिसमें गार्बुज की पत्नी और दो बच्चे शामिल थे। संक्रिमत मिले अधिकांश लोग गार्बुज के संपर्क में आए थे। यहां गार्बुज को सुपर स्प्रेडर माना गया। 

साउथ कोरिया. यहां पर संक्रमण की शुरुआत ही एक सुपर स्प्रेडर से हुई थी। फरवरी की शुरुआत में यहां संक्रमण के मात्र दो मामले थे। 15 फरवरी को एक महिला दाएगू शहर के एक चर्च में शामिल हुई। वह कोरोना पॉजिटिव मिली। चर्च के संपर्क में आए 29 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले। इसके दो हफ्ते बाद साउथ कोरिया में 2900 से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए। 

इटली. यहां पर संक्रमण फैलने की मुख्य वजह चैम्पियंस लीग का एक मैच है। यह मुकाबला 19 फरवरी को अटलांटा और वेलेंसिया के बीच मिलान शहर के सैन सीरो स्टेडियम में खेला गया था। इस दौरान करीब 50 हजार लोग मैच देखने आए थे। इस मैच के दो दिन बाद ही इटली में इस वायरस के स्थानीय संक्रमण से पहली मौत का मामला सामने आया। इसके बाद हालात इस कदर बेकाबू हुए कि इटली का यह शहर कोरोनावायरस का केंद्र बन गया। इसे भी सुपर स्प्रेडर का मामला बताया जाता है।

डब्ल्यूएचओ ने अभी तक सुपर स्प्रेडर के बारे में कुछ नहीं कहा
डब्ल्यूएचओ ने अभी तक सुपर स्प्रेडर के बारे में कुछ नहीं कहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ये ऐसे मरीज होते हैं जो आम मरीजों की तुलना में कहीं ज्यादा संक्रमण फैलाते हैं। उन्होंने बताया कि हर एक व्यक्ति का शरीर अलग होता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनमें वायरस बहुत ज्यादा होता है।

उनकी एक ड्रॉपलेट में आम मरीज से 10 से 100 गुना ज्यादा वायरस हो सकते हैं। 
 2011 में हुए एक अध्ययन के अनुसार किसी महामारी के दौरान 80% लोगों को संक्रमित करने के मात्र 20%  लोग जिम्मेदार होते हैं। यही लोग सुपर स्प्रेडर होते हैं।

पुरानी बीमारी को फिर से जिंदा करते हैं सुपर स्प्रेडर
अमेरिका की संक्रामक रोग विशेषज्ञ एलिजाबेथ मैक्ग्रॉ ने बताया था कि पिछले दो दशकों में अमेरिका में खसरा का प्रकोप शुरू हुआ है। यह ऐसी बीमारी है जिस पर पूरी तरह से काबू था, लेकिन सुपर स्प्रेडरों की वजह से एक बार फिर इसका प्रकोप फैला। 



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