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  • पाकिस्तान और चीन के बीच 2013 में ग्वादर पोर्ट डील हुई थी
  • पाकिस्तान और चीन दोनों ने कभी इस समझौते की जानकारी सार्वजनिक नहीं की

दैनिक भास्कर

Jun 19, 2020, 04:05 PM IST

इस्लामाबाद. पाकिस्तान ने सात साल पहले चीन के साथ हुई ग्वादर पोर्ट डील की जानकारी सार्वजनिक करने से फिर इनकार कर दिया। एक संसदीय समिति ने सरकार से ग्वादर पोर्ट के दस्तावेज मांगे थे। लेकिन, इमरान खान सरकार ने उसे डील की कोई कॉपी मुहैया कराने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट डील का मुद्दा फिर उठने लगा है। 
दरअसल, तीन दिन से एक सीनेट पैनल टैक्स संबंधी मामलों की जांच कर रही थी। इसने पाया कि ग्वादर पोर्ट में चीनी कंपनियों को 40 साल तक कोई टैक्स नहीं देना होगा। इस पर उसने सरकार से जवाब मांगा। लेकिन, सरकार ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। 

चीनी कंपनियों को फायदा ही फायदा
सीनेटर फारुख हामिद की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति वित्तीय मामलों को देखती है। इसने सरकार से टैक्स कलेक्शन पर रिपोर्ट मांगी। इसी दौरान ग्वादर पोर्ट डील का मामला सामने आया। बताया गया कि चीनी कंपनियों को 40 साल तक कोई टैक्स नहीं देना होगा। इतना ही नहीं चीन की बड़ी कंपनियां, जिन छोटी कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट बांटेंगी, उन्हें भी टैक्स छूट मिलेगी। इसके बाद समिति ने सरकार से डील की कॉपी मांगी। 

संसदीय समिति को भी जानकारी नहीं दी
गुरुवार को सीनियर सेक्रेटरी रिजवान अहमद समिति के सामने पेश हुए। उन्होंने कमेटी से कहा कि ग्वादर पोर्ट डील की कॉपी, इससे जुड़ा कोई भी दस्तावेज या जानकारी नहीं दी जा सकती। रिजवान ने कहा- यह सीक्रेट डील है। इसे जनता के सामने नहीं लाया जा सकता। सरकार के इस जवाब से कमेटी नाराज हो गई। पाकिस्तान के अखबार ‘द डॉन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को एक घंटे के लिए इस डील की कॉपी कमेटी को दी जा सकती हैं। इस मामले की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी।

रिजवान ने ही दिलाई टैक्स छूट
अखबार ने रिजवान को लेकर एक रोचक खुलासा भी किया। इसके मुताबिक- मैरीटाइम मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर रिजवान का प्रोफाइल है। इसमें उनकी प्रमुख उपलब्धि यह बताई गई है कि उन्होंने ग्वादर पोर्ट डील में चीन की बड़ी और छोटी कंपनियों को पूरी टैक्स छूट दिलाई। अब संसदीय समिति कह रही है कि 40 साल तक कंपनियों को टैक्स छूट देना संविधान के खिलाफ है। पाकिस्तान की किसी कंपनी को इस तरह की रियायत की बात सपने में भी नहीं सोची जा सकती। फिर विदेशी कंपनियों को यह तोहफा कैसे मिला।

ग्वादर पोर्ट डील 
ग्वादर पोर्ट पाकिस्तान के हिंसाग्रस्त क्षेत्र बलूचिस्तान का हिस्सा है। 2013 में चीन और पाकिस्तान के बीच यहां बंदरगाह यानी पोर्ट बनाने का समझौता हुआ। जानकारी के मुताबिक, ग्वादर पोर्ट पर करीब 25 करोड़ डॉलर खर्च होंगे। 75 फीसदी हिस्सा चीन देगा। इससे ज्यादा डील की जानकारी दोनों सरकारों के अलावा किसी को नहीं है। अब चीनी कंपनियों को 40 साल तक टैक्स माफी की बात सामने आई है। ग्वादर से भारत की दूरी 460 किलोमीटर है। इससे कुछ दूरी पर ईरान की समुद्री सीमा है। 



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