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वॉशिंगटनएक घंटा पहले

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फोटो जुलाई 2019 में कतर में हुई शांति वार्ता में शामिल तालिबान के प्रतिनिधियों की है। इसी मीटिंग में तय हुआ था कि तालिबान और अफगान भरोसा बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाएंगे। – फाइल फोटो

  • दोहा में होने वाली वार्ता में भारत के शामिल होने की उम्मीद
  • अमेरिका और तालिबान में 29 फरवरी को हुआ था समझौता

अफगान सरकार और तालिबान के बीच सालों से जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए कतर की राजधानी दोहा में शनिवार से शांति वार्ता शुरू हो रही है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक इस वार्ता में भारत भी शामिल हो सकता है। वार्ता के दौरान करीब 30 देशों के प्रतिनिधियों को हिस्सा लेना है। शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो दोहा पहुंच चुके हैं।

खलीलजाद ने कहा- दोनों पक्षों की परीक्षा
अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत और इस वार्ता को कराने वाले जालमे खलीलजाद ने कहा है कि यह वार्ता अफगान सरकार और तालिबान के लिए एक परीक्षा की तरह है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बातचीत से दशकों से जारी युद्ध को खत्म किया जा सकेगा और अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू हो सकेगी। साथ ही दोनों पक्षों में एक पॉलिटिकल रोडमैप को लेकर सहमति बन सकेगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका दोनों पक्षों के साथ बातचीत के जरिए जुड़ा रहेगा और हालातों पर नजर रखेगा।

अमेरिका और तालिबान में 29 फरवरी को हुआ था समझौता
अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच इसी साल 29 फरवरी को एक समझौते पर साइन हुए थे। इसके तहत तालिबान को हिंसा में कमी लानी थी और अमेरिका को अफगानिस्तान से सैनिकों की कई चरणों में वापसी। समझौते के मुताबिक तालिबान को अल-कायदा और दूसरे आतंकी समूहों का साथ छोड़ना होगा। साथ ही अफगान सराकार से जुड़े लोगों पर आतंकी हमले भी रोकने होंगे।

5000 तालिबानी आतंकियों को छोड़ने के बाद हो रही वार्ता
शांति वार्ता शुरू करने के लिए अफगान सरकार ने इस साल तालिबान के 5000 आतंकियों को छोड़ा है। इसमें 400 वे हार्डकोर आतंकी भी शामिल हैं, जिन्होंने कई सैनिकों और नागरिकों की हत्या की थी। अशरफ गनी सरकार ने पिछले हफ्ते 3200 कम्युनिटी लीडर और पॉलिटिशियन की बैठक बुलाई थी। सभी के सुझाव पर कैदियों की रिहाई पर फैसला लिया गया।

वार्ता सफल हुई तो ट्रम्प को मिलेगा फायदा
अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी डोनाल्ड ट्रम्प का चुनावी वादा रहा है। यह शांति वार्ता अमेरिका के दबाव में ही इतनी तेजी से बढ़ी है। अगर बातचीत सफल रहती है तो चुनाव से ठीक पहले ट्रम्प को फायदा मिलेगा। रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा था कि अफगानिस्तान में नवंबर तक 5 हजार से भी कम अमेरिकी सैनिक रह जाएंगे।

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