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एक घंटा पहले

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  • एक व्यक्ति ने संत से कहा गुरुजी मेरे घर में रोज झगड़े होते हैं, माता-पिता और मेरी पत्नी भी मेरी बात नहीं सुनती है, इसीलिए मैं सबकुछ छोड़कर संन्यास लेना चाहता हूं

भक्ति वही लोग कर पाते हैं, जिनका मन शांत है। अशांत मन से एकाग्रता नहीं बन पाती है, व्यर्थ विचारों की वजह से पूजा-पाठ में मन नहीं लगता है। इस संबंध में लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक दुखी व्यक्ति अपने जीवन से हताश होकर जंगल की ओर निकल पड़ा।

रास्ते में उसे एक आश्रम दिखाई दिया। वह व्यक्ति आश्रम में गया तो वहां एक संत ध्यान कर रहे थे। व्यक्ति ने संत को प्रणाम किया और कहा कि महाराज मैं संन्यास धारण करना चाहता हूं, कृपया मुझे अपना शिष्य बना लें।

संत ने कहा कि मैं तुम्हें अपना शिष्य बना लूंगा, लेकिन पहले ये बताओ कि तुम संन्यास क्यों लेना चाहते हो?

व्यक्ति ने जवाब दिया कि गुरुजी मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हो गया हूं। मेरे घर में माता-पिता और पत्नी हैं। लेकिन, वे लोग मेरी बात नहीं मानते हैं। घर में रोज-रोज झगड़े होते हैं। इससे तंग आकर मैं सबकुछ छोड़कर आ गया हूं।

संत ने युवक से पूछा कि क्या तुम अपने घर-परिवार में किसी से प्रेम करते हो?

व्यक्ति बोला कि नहीं, गुरुजी मैं किसी से प्रेम नहीं करता। मुझे मेरे माता-पिता या पत्नी से भी प्रेम नहीं है। इसीलिए मैं उन्हें छोड़कर आ गया हूं।

संत ने फिर पूछा कि क्या तुम्हें सच में किसी से भी थोड़ा सा भी लगाव नहीं है।

व्यक्ति ने जवाब दिया कि गुरुजी ये पूरी दुनिया ही स्वार्थी है। मेरे घर के लोग भी स्वार्थी हैं। इसी वजह से मुझे किसी से लगाव नहीं है। आप मुझे शिष्य बना लें।

संत बोले कि भाई, मुझे क्षमा करना मैं तुम्हें अपना शिष्य नहीं बना सकता। तुम्हारा मन बहुत अशांत है, तुम अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करते, पत्नी से भी प्रेम नहीं करते हो। तुम्हारे मन में किसी के लिए भी प्रेम है ही नहीं। अगर तुम किसी से प्रेम करते तो मैं तुम्हारा मन भक्ति की ओर मोड़ सकता था, लेकिन जहां प्रेम, शांति और सम्मान ही नहीं है, वहां भक्ति का बीज कैसे पनप सकता है। तुम्हारा मन बहुत कठोर है। एक छोटा सा बीज ही वृक्ष बनता है, लेकिन तुम्हारे मन में कोई भाव है ही नहीं। इसीलिए तुम भक्ति भी नहीं कर पाओगे। भगवान भी उन्हीं पर कृपा करते हैं जो अपने माता-पिता से निस्वार्थ भाव से प्रेम करते हैं और उनका सम्मान करते हैं।

We should obey about mother and father, importance of love in life, we should take care of our family, Motivational story about devotion, | जो लोग घर में क्लेश करते हैं, माता-पिता का सम्मान नहीं करते, जीवन साथी की कद्र नहीं करते, उनका मन भक्ति में भी नहीं लग सकता 1

प्रसंग की सीख

इस प्रसंग की सीख यह है कि हमें अपने परिवार में प्रेम बनाए रखना चाहिए। माता-पिता का सम्मान करें और जीवन साथी के प्रति समर्पण का भाव रखेंगे तो हमारा मन शांत रहेगा। स्वार्थ की वजह से मन अशांत हो जाता है, इससे बचना चाहिए। शांत मन से ही भगवान की भक्ति भी आसानी से की जा सकती है।

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