ह्यूस्टन8 दिन पहले
शुक्रवार को शाम चार बजे (लोकल टाइम) ह्यूस्टन स्थित चीनी कॉन्स्युलेट में एफबीआई एजेंट्स दाखिल हुए। दरवाजा खुलवाने के लिए उन्हें मशक्कत करनी पड़ी। बाद में बिल्डिंग की तलाशी ली गई। इस दौरान फोरेंसिक टीम भी साथ थी।
- अमेरिका ने मंगलवार को 72 घंटे में चीन को ह्यूस्टन कॉन्स्युलेट खाली करने के आदेश दिए थे
- शुक्रवार शाम 4 बजे तक डेडलाइन थी, एफबीआई एजेंट्स पूरे 72 घंटे कॉन्स्युलेट के बाहर तैनात रहे
अमेरिका ने चीन के खिलाफ रुख और सख्त कर लिया। चीन को मंगलवार को ह्यूस्टन कॉन्स्युलेट 72 घंटे में बंद करने के आदेश दिए गए थे। शुक्रवार शाम 4 बजे जैसे ही डेडलाइन खत्म हुई, अमेरिकी एजेंट्स इस बिल्डिंग में दाखिल हो गए। अंदर मौजूद कुछ लोगों ने गेट नहीं खोला। इस पर एफबीआई ने उन्हें वॉर्निंग दी। इसके बाद एजेंट्स ने दरवाजा ताकत के इस्तेमाल से खुलवाया।
हैरानी की बात चीन का रवैया है। वियना कन्वेंशन के मुताबिक, उस तय वक्त में बिल्डिंग का हैंडओवर अमेरिका अधिकारियों को देना था। लेकिन, जब एफबीआई एजेंट्स वहां पहुंचे तो मेन गेट अंदर से लॉक था। पिछले गेट पर भी यही हाल थे। लेकिन, टीम ने इसे जबरदस्ती खुलवाया। बाद में मेन गेट पर भी ताकत का इस्तेमाल करना पड़ा।
एफबीआई एजेंट्स के बाद स्पेशल फोरेंसिक टीम कॉन्स्युलेट में दाखिल हुई। इस दौरान मीडिया को काफी दूर रखा गया था। खास बात ये है कि ज्यादातर एजेंट्स यूनिफॉर्म में नहीं थे।
जिद पर अड़ा चीन
डिप्लोमैसी के नियमों के तहत चीन को अमेरिका द्वारा दी गई डेडलाइन खत्म होने के पहले कॉन्स्युलेट खाली करनी थी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। कॉन्स्युलेट के हेड काई वेई ने ‘द पॉलिटिको’ को दिए इंटरव्यू में ट्रम्प प्रशासन का आदेश मानने से इनकार कर दिया। कहा- ये हमारे विरोध करने का तरीका है। हम कॉन्स्युलेट खाली नहीं करेंगे। बहरहाल, उन्हें बिल्डिंग खाली करनी पड़ी।
एफबीआई के पहले लोकल पुलिस की टीम कॉन्स्युलेट के पिछले दरवाजे पर पहुंची। उसने यहां मौजूद एक व्यक्ति (सामने की तरफ येलो ट्राउजर) से कुछ देर बातचीत की।
चीन के पक्ष में नहीं चीनी मूल के लोग
कॉन्स्युलेट की तलाशी के वक्त हैरान करने वाली चीजें दिखीं। कॉन्स्युलेट के बाहर कई चीनी नागरिक जुटे। इन्होंने अमेरिकी कार्रवाई का समर्थन किया और चीन के विरोध में बातें कहीं। इनमें से ज्यादातर लोग ताली बजाकर एफबीआई एजेंट्स का हौसला बढ़ा रहे थे। कई लोगों पूरी घटना का वीडियो बनाया।
तलाशी के बाद कई बॉक्स बाहर लाए गए। हालांकि, इनमें क्या था। इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आ सकी है।
यह फोटोग्राफ सामान्य नहीं है। दरअसल, यह चीन के उस माइंडगेम का हिस्सा है जो उसने कॉन्स्युलेट में खेलने की कोशिश की। चीन बिल्डिंग के बाहरी हिस्से में कुछ लोगों की मुलाकात कराता रहा, ताकि सब रूटीन लगे। अंदर सबूत मिटाने की हरकतें जारी थीं।
एफबीआई को क्या मिला
अब तक यह साफ नहीं है कि एफबीआई को ह्यूस्टन कॉन्स्युलेट से क्या मिला। हालांकि, एजेंट्स के दाखिल होने के बाद कई लोग बक्से लेकर बाहर निकलते दिखे। ये लोग लोकल पुलिस डिपार्टमेंट के थे। एफबीआई के साथ फोरेंसिक डिपार्टमेंट की एक स्पेशल टीम भी आई थी। माना जा रहा है कि इस टीम ने मंगलवार को जलाए गए डॉक्युमेंट्स के सुराग तलाशे। दस्तावेज जलाए जाने की घटना के बाद ही कॉन्स्युलेट पर शक हुआ था। इसके बाद इसे 72 घंटे में बंद करने के आदेश दिए गए थे।
Fun times at the Houston Consulate as pro-American Chinese protesters chant slogans as the CCP clears out of the building. pic.twitter.com/YZVUGOmZ8w
— Ian Miles Cheong (@stillgray) July 24, 2020
They later broke the lock and broked into the consulate via the back door. 後來 #美國 官員把後門的鎖撬了,破門而入了。 https://t.co/8EqZR1GHkE
— Jennifer Zeng 曾錚 (@jenniferatntd) July 25, 2020
हर हरकत पर नजर
मंगलवार के बाद से ही कॉन्स्युलेट के बाहर एफबीआई के एजेंट्स तैनात थे। ये यहां होने वाली हर हरकत पर पैनी नजर रख रहे थे। शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे यहां कई ब्लैक एसयूवी, ट्रक और दो व्हाइट वैन पहुंचीं। चार बजते ही एजेंट्स ने जबरदस्ती गेट खुलवाया और ये गाड़ियां भी अंदर दाखिल हो गईं। इस दौरान लोकल पुलिस बाहर तैनात थी। तलाशी के बाद बिल्डिंग को सील कर दिया गया।
यह छोटी सी घटना
सीएनएन से बातचीत में एक अमेरिकी अफसर ने कहा, “ह्यूस्टन में जो हुआ वह तो छोटी से घटना है। साजिश के तार बहुत दूर तक फैले हैं। इसकी जानकारी हमें मिल चुकी है। अमेरिका के कम से कम 25 शहरों में जासूसी का नेटवर्क चलाया जा रहा था। कॉन्स्युलेट के कुछ लोग जांच को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें यह पता होना चाहिए कि हम कितने प्रोफेशनल तरीके से जांच करते हैं।”
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