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रियाद24 मिनट पहले

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सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान विदेश नीति में बदलाव कर रहे हैं। इससे पाकिस्तान और इजिप्ट जैसे देशों को सबसे ज्यादा दिक्कत होगी। (फाइल)

  • सऊदी अरब कई दशकों से दुश्मन के दुश्मन को मदद की नीति पर या कहें कूटनीति पर चलता आया है
  • महामारी के दौर में सऊदी को भी काफी आर्थिक नुकसान हुआ, डिप्लोमैसी में बदलाव की यही वजह

सऊदी अरब दशकों से चले आ रहे कूटनीति मंत्र में बदलाव करने जा रहा है। प्रिंस सलमान की अगुआई वाली सऊदी सरकार अब चेकबुक डिप्लोमैसी खत्म कर रही है। इसका खामियाजा पाकिस्तान समेत कई देशों पर पड़ना तय है। सऊदी अरब अब तक दुश्मन का दुश्मन दोस्त और उसको आर्थिक मदद की नीति पर चलता आया है। महामारी से आई मंदी ने उसे इसमें बदलाव पर मजबूर कर दिया है।

मुस्लिम वर्ल्ड का पावरहाउस
न्यूज एजेंसी ने सऊदी अरब की बदलती डिप्लोमैसी या कहें विदेश नीति पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि सऊदी सरकार और प्रिंस सलमान अब मुस्लिम वर्ल्ड में पावरहाउस बने रहने के लिए खजाना खाली नहीं करेंगे।

पैसे देने का फायदा नहीं हुआ
मिडिल-ईस्ट मामलों की एक्सपर्ट यास्मिन फारुख के मुताबिक- महामारी के दौरान ऑयल डिमांड कम हुई। भाव भी तेजी से गिरे। इसका गंभीर असर सऊदी अरब की अर्थ व्यवस्था पर पड़ा। इतना ही नहीं ईरान, तुर्की और कतर जैसे देश उसे आंखें दिखाने लगे। यह सऊदी अरब के दबदबे पर सवालिया निशान भी है। जॉर्डन, मिस्र, फिलिस्तीन और पाकिस्तान जैसे देशों ने सऊदी से लाखों पेट्रो डॉलर लिए। लेकिन, सऊदी अरब को लगता है कि बदले में उसका ज्यादा फायदा नहीं हुआ।

सऊदी अब एटीएम नहीं रहेगा
यास्मिन ने आगे कहा- महामारी और तेल के गिरते भाव ने सऊदी अरब को डिप्लोमैसी में बदलाव के लिए मजबूर कर दिया। अब ये देश एटीएम नहीं रहेगा। प्रिंस सलमान देश की यह पहचान खत्म करने जा रहे हैं। सऊदी लेखक खालिद अल सुलेमान ने कहा- लेबनान को फिर खड़ा करने के लिए सऊदी अरब ने लाखों डॉलर दिए। लेकिन, उसने हिजबुल्लाह का साथ नहीं करता। यह संगठन सऊदी के दुश्मन ईरान से मिल गया। लेबनान को अब अपने खर्चे खुद उठाने होंगे। सऊदी अरब ने साफ कर दिया है कि पैसा आसमान से नहीं आता और न ही रेगिस्तान में पैदा होता है

पाकिस्तान की ब्लैकमेलिंग भी खत्म
सऊदी अरब के ही एक और कॉलमनिस्ट अल शिहाबी ने कहा- पाकिस्तान ने सऊदी अरब से अलग-अलग वक्त पर लाखों डॉलर लिए। बेहद नर्म शर्तों पर ऑयल इम्पोर्ट किया। जब कश्मीर पर सऊदी ने उसका साथ नहीं दिया तो वो हमें धमकाने लगा। दूसरा मुस्लिम संगठन बनाने की बात कहने लगा। ये धमकियां अब नहीं चलेंगी। यही वजह है कि सऊदी ने पाकिस्तान से 3 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने को कह दिया। ऑयल क्रेडिट फेसेलिटी भी खत्म कर दी। पाकिस्तान हमें हल्के में ले रहा था। अब पार्टी खत्म हो गई है। मुफ्त में कुछ नहीं मिलेगा। रिश्ते एकतरफा नहीं हो सकते।

पाकिस्तान-इजिप्ट ने धोखा दिया
शिहाबी ने कहा- यमन के हूती विद्रोही सऊदी के लिए खतरा बन गए हैं। पाकिस्तान, मिस्र और ईरान इन्हें समर्थन दे रहे हैं। सऊदी यह सहन नहीं कर सकता। यह तो हमारे देश के साथ धोखा है। 2015 में इजिप्ट के राष्ट्रपति ने सऊदी का मजाक उड़ाया था। सऊदी को यह अहसास हो चुका है कि मुस्लिम जगत अब बदल चुका है और उसके दबदबे को चुनौती मिल रही है। जिन देशों की उसने मदद की। वही आज दूसरा रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। लिहाजा, सऊदी अरब भी बदलाव कर रहा है।

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