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तेल अवीव2 दिन पहले

फोटो तेल अवीव के पास बने गुरियन एयरपोर्ट की है। उड़ान भरने से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति के सलाहकार जेरेड कुश्नर (सेंटर), अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन (सेंटर से लेफ्ट) और अन्य अफसर फोटो खिंचवाते।

  • इजराइल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मीर बेन शबात यहूदी राज्य की ओर से उड़ान भरने वाले सबसे सीनियर अफसर हैं
  • अमेरिका की मध्यस्थता से 13 अगस्त को इजराइल और यूएई के बीच शांति समझौता हुआ था

इजराइल की एल आल एयरलाइंस की विमान सोमवार को पहली बार अबू धाबी पहुंची। शांति समझौते की घोषणा के बाद संबंधों को सामान्य बनाने के लिए यह एक बड़ा कदम है। अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच शांति समझौता हुआ था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने 13 अगस्त को ट्वीट कर इसकी घोषणा की थी।

अल अल एयरलाइंस का विमान एलवाई971 तेल अवीव के पास बेन गुरियन एयरपोर्ट से सुबह 10.30 बजे रवाना हुई, जो तीन घंटे की यात्रा के बाद अबू धाबी पहुंचा। इसमें इजराइल और अमेरिकी अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल था। इसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद और व्हाइट हाउस के सलाहकार जेरेड कुश्नर के नेतृत्व में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल था।

उड़ान को सऊदी अरब के हवाई क्षेत्र से गुजरने की अनुमति दी गई थी। आमतौर पर इजरायल के विमानों के यहां के हवाई क्षेत्र से गुजरने पर प्रतिबंध है।

तेल अवीव के पास बेन गुरियन एयरपोर्ट से एल आल एयरलाइंस की विमान अबू धाबी के लिए रवाना हुई।

मध्य पूर्व के देशों के बीच ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत

कुश्नर ने उड़ान भरने से पहले कहा था कि इजराइल-यूएई के बीच उड़ान से मध्य पूर्व के देशों के बीच ऐतिहासिक यात्रा शुरू हो सकती है। इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मीर बेन शबात यहूदी राज्य की ओर से उड़ान भरने वाले सबसे सीनियर अफसर हैं।

13 अगस्त को समझौते की घोषणा

प्लेन के कॉकपिट पर ‘शांति’ शब्द को अरबी, अंग्रेजी और हिब्रू में पेंट किया गया था। रिश्ते सामान्य करने के लिए इजराइल और अमीरात के बीच 13 अगस्त को समझौते की घोषणा की गई थी। इसके बाद यूएई पहला खाड़ी देश और मिस्र और जॉर्डन के बाद इजराइल से समझौता करने वाला तीसरा अरब देश बन गया।

प्लेन के कॉकपिट पर ‘शांति’ शब्द को अरबी, अंग्रेजी और हिब्रू में लिखा गया है।

प्लेन के कॉकपिट पर ‘शांति’ शब्द को अरबी, अंग्रेजी और हिब्रू में लिखा गया है।

कई महीने की बातचीत जो गुप्त रखी गई

ट्रम्प कई महीनों से इस समझौते के लिए कोशिश कर रहे थे। हर तरह की बातचीत को बेहद गुप्त रखा गया था। ट्रम्प ने समझौते से ऐलान से पहले इसे पुख्ता तौर पर स्थापित करने के लिए फोन पर एक साथ नेतन्याहू और शेख जायेद से बातचीत की थी। अब इजराइल और यूएई एक-दूसरे के देशों में राजनयिक मिशन यानी एम्बेसी शुरू कर सकेंगे।

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