Strange IndiaStrange India


  • Hindi News
  • International
  • After 9 Months, Nepal And India Will Meet Via Video Conferencing, Nepal’s Ambassador To India Said Ram And Buddha Do Not Divide Us Together

काठमांडू/ नई दिल्ली18 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

यह फोटो फरवरी 2016 की है। उस समय नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत के दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।

  • दोनों देशों के बीच 2016 में बातचीत के लिए तैयार मैकेनिज्म के तहत यह 8वीं बैठक होगी, भारत की मदद से चलने वाले प्रोजेक्ट्स पर चर्चा होगी
  • नेपाल के विदेश मंत्रालय में सचिव शंकर दास बैरागी और नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा बैठक में शामिल होंगे

सीमा विवाद और बयानबाजी के बीच भारत और नेपाल 9 महीने बाद आज पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा बैठक करेंगे। इसमें भारत की ओर से नेपाल में शुरू होने वाले और चलाए जा रहे प्रोजेक्ट्स की समीक्षा होगी। हालांकि, दोनों देश सीमा विवाद समेत कुछ दूसरों मुद्दों पर भी बातचीत कर सकते हैं। नेपाल की तरफ से विदेश मंत्रालय में सचिव शंकर दास बैरागी शामिल होंगे। भारतीय दल की अगुआई नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा करेंगे।

इस बीच, भारत में नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य ने कहा है कि भगवान राम और बुद्ध दोनों देशों को बांटते नहीं, एकजुट करते हैं। बीते दिनों नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा था कि भगवान राम नेपाल के हैं। वहीं, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के भगवान बुद्ध को भारत का कहे जाने पर नेपाली विदेश मंत्री ने आपत्ति जताई थी।

दोनों देशों का भगवान राम और बुद्ध में विश्वास: आचार्य

आचार्य ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत-नेपाल के विदेश मंत्रालय ने भगवान राम और बुद्ध के बयानों के बारे में स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। हम दोनों भगवान राम और बुद्ध में विश्वास रखते हैं। यह भी मानते हैं कि बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी है। राम और बुद्ध सर्किट दोनों देशों के आपसी तालमेल से जुड़े प्रोजेक्ट्स हैं। ये सारी चीजें हमें दूरी नहीं करतीं, बल्कि करीब लाती हैं। हमें इन मुद्दों पर किसी तरह का विवाद पैदा करने से बचना चाहिए।

दोनों देशों के बीच आठवीं बातचीत

2016 में नेपाल के तब के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड भारत आए थे। दोनों देशों ने आपसी विवाद सुलझाने और सहयोग बढ़ाने के लिए मैकेनिज्म तैयार किया था। 17 अगस्त को इसी मैकेनिज्म के तहत 8वीं बातचीत होगी। हाल के दिनों में सीमा विवाद और दूसरे मुद्दों की वजह से भारत और नेपाल के रिश्तों में खटास दिखी थी। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन पर भी नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने बयानबाजी की थी।

दोनों देशों के बीच कैसे शुरू हुआ विवाद

भारत ने अपना नया राजनीतिक नक्शा 2 नवंबर 2019 को जारी किया था। इस पर नेपाल ने आपत्ति जताई थी और कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख इलाके को अपना क्षेत्र बताया था। इस साल 18 मई को नेपाल ने इन तीनों इलाकों को शामिल करते हुए अपना नया नक्शा जारी कर दिया। इस नक्शे को अपने संसद के दोनों सदनों में पारित कराया। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। मई-जून में नेपाल ने भारत से सटी सीमाओं पर सैनिकों की तादाद बढ़ा दी। बिहार में भारत-नेपाल सीमा पर नेपाली सैनिकों ने भारत के लोगों पर फायरिंग भी की थी।

नेपाल से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें:

1.नेपाल का सियासी संकट:प्रधानमंत्री ओली के मुख्य विरोधी प्रचंड ने कहा- बुरे वक्त के लिए तैयार रहें कार्यकर्ता; दोनों नेताओं के बीच 10वीं बातचीत भी बेनतीजा

2.रिश्ते बेहतर करने की कोशिश?:नेपाल ने भारत के सभी न्यूज चैनलों को अपने देश में दोबारा दिखाए जाने की इजाजत दी, 9 जुलाई को प्रतिबंध लगाया था

3.नेपाल की फौज को कमाई की फिक्र:नेपाल की सेना ने सरकार से बड़े कमर्शियल प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्टमेंट की मंजूरी मांगी, आर्मी एक्ट में बदलाव का मसौदा सौंपा

0



Source link

By AUTHOR

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *