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वॉशिंगटन13 मिनट पहलेलेखक: जूलियन बार्नेस, माइकल वेनुटोलो

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फोटो यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना की है। यहां कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च चल रही है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने इस यूनिवर्सिटी को कई अलर्ट भेजकर बताया है कि चीन और रूस वैक्सीन रिसर्च और डेवलपमेंट डेटा चुराने की कोशिश कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। (फाइल फोटो)

  • ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने कुछ दिनों पहले राज्यों को वैक्सीन डिस्ट्रब्यूशन का प्लान तैयार करने को कहा था
  • ट्रम्प एफडीए पर आरोप लगा चुके हैं कि वो उन्हें सियासी नुकसान पहुंचाने के लिए वैक्सीन को अप्रूवल नहीं दे रहा

अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव का कनेक्शन कोरोना वैक्सीन से भी जुड़ा हुआ है। डोनाल्ड ट्रम्प चाहते हैं कि वैक्सीन चुनाव के पहले उपलब्ध हो। उनकी सरकार ने पिछले हफ्ते सभी राज्यों को एक सर्कुलर जारी किया। इसमें कहा गया कि राज्य वैक्सीन का डिस्ट्रीब्यूशन प्लान तैयार रखें। दूसरी तरफ, अमेरिकी इंटेलिजेंस ने एक बार फिर कहा है कि रूस और चीन अमेरिका की वैक्सीन रिसर्च और डेवलपमेंट का डेटा चुराने की साजिश में जुटे हैं।

चीन और रूस की हरकत
अमेरिका में फाइजर समेत कुछ कंपनियां वैक्सीन तैयार कर रही हैं। नॉर्थ कैरोलिना के अलावा कई हाईटेक लैब्स में रिसर्च चल रही है। चीन और रूस की खुफिया एजेंसियां रिसर्च का डेटा चुराने की भरसक कोशिश कर रही हैं। ब्रिटेन की इंटेलिजेंस एजेंसी ने फाइबर ऑप्टिक्स केबल्स के एनालिसिस के बाद इसका खुलासा किया था। ईरान भी इसी चोरी में शामिल है।

मोटे तौर पर देखें तो दुनिया का हर विकसित देश ये जानना चाहता है कि दूसरे देश वैक्सीन पर किस तरह आगे बढ़ रहे हैं। इसके लिए खुफिया एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अमेरिका ने भी अपने वैक्सीन रिसर्च और डेवलपमेंट के डेटा को चोरी होने से बचाने के लिए पुख्ता तैयारी की है। नाटो का इंटेलिजेंस नेटवर्क भी इसमें मदद कर रहा है।

चीन क्या कर रहा है
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के आला अधिकारी जॉन डिमर्स ने पिछले हफ्ते कहा था- जिस डेटा को चुराने की साजिश रची जा रही है, वो आर्थिक और सैन्य लिहाज से बेशकीमती है। हम जानते हैं कि ये काम कौन कर रहा है। ट्रम्प डब्ल्यूएचओ की फंडिंग बंद कर चुके हैं और उसे चीन की कठपुतली बता चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी अफसरों को चीन की हरकत की जानकारी मार्च में ही मिल गई थी। उन्हें शक है कि डब्ल्यूएचओ चीन की साजिश में शामिल है।

हर साजिश नाकाम रही
एफबीआई ने चीन की अब तक हर कोशिश को नाकाम किया है। यूएनसी की प्रवक्ता लेस्ली मिंटन ने पिछले दिनों कहा था- खुफिया एजेंसियां हमें खतरे के बारे में अलर्ट भेजती हैं। हम सभी बायोटेक्नोलॉजी लैब्स को इस बारे में बताते हैं। हम जानते हैं कि इस साजिश में वहां की सरकारें भी शामिल हैं। ब्रिटेन की इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस एजेंसी जीसीएचक्यू ने अमेरिका को रूस की साजिश के बारे में भी बताया था। इसके बाद होमलैंड सिक्योरिटी और एफबीआई एक्टिव हुईं।

वैक्सीन का इलेक्शन कनेक्शन
ट्रम्प ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर्स (एफडीए) नहीं चाहता कि चुनाव से पहले वैक्सीन उपलब्ध हो। ट्रम्प के मुताबिक, एफडीए जानबूझकर अप्रूवल में देरी कर रहा है ताकि उन्हें चुनाव में नुकसान हो। दूसरी तरफ, ट्रम्प सरकार ने राज्य सरकारों को सर्कुलर जारी कर दिया। कहा- अक्टूबर के पहले वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन प्लान तैयार कर लें। जरूरतमंदों को प्राथमिकता दें। नवंबर के पहले अगर वास्तव में वैक्सीन उपलब्ध हो जाती है तो इस ट्रम्प चुनाव में भुनाने की कोशिश करेंगे।

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