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नई दिल्ली16 मिनट पहलेलेखक: विकास कुमार

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गुरुग्राम (गुड़गांव) की रहने वाली उर्वशी घर का खर्च चलाने के लिए छोले-कूलचे का ठेला लगाती थीं। अच्छी आमदनी भी होती थी, लेकिन कोरोना ने सबकुछ चौपट कर दिया।

  • पति की एक्सीडेंट के बाद नौकरी छूटी तो गुरुग्राम की उर्वशी ने घर के पास एक ठेला लगाकर छोले- कुलचे बेचना शुरू किया
  • एक दिन में 3000 रुपए कमा रहीं थीं तो खोल लिया था रेस्तरां, लेकिन शराब का लाइसेंस नहीं लिया तो बंद करना पड़ा

कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन ने मुझे बर्बाद कर दिया है। पिछले तीन महीने से मैं घर में बैठी हूं। अपनी ख़ुद्दारी बचाए रखने के लिए मैंने सड़क किनारे छोले- कुलचे का ठेला लगाया था। आज एक बार फिर मैं वहीं खड़ी हूं। ये शब्द उस महिला के हैं जिसे आजकल सोशल मीडिया पर आत्मनिर्भरता की मिसाल बनाकर पेश किया जा रहा है। 

Those who are telling the example of self-reliance on social media, they became unemployed due to the small-selling Urvashi Corona | सोशल मीडिया पर जिसे आत्मनिर्भरता की मिसाल बता रहे हैं, वो छोले-कुलचे बेचने वाली उर्वशी कोरोना के चलते बेरोजगार हो गईं 1

सोशल मीडिया पर उर्वशी की तारीफ हो रही है। उनकी आत्मनिर्भरता की कहानी को खूब शेयर किया जा रहा है।

महिला का नाम है- उर्वशी यादव। दिल्ली से सटे गुरुग्राम में अपने परिवार के साथ रहनेवाली उर्वशी के बारे में लिखा गया एक सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो चुका है। लोग उन्हें अदम्य साहस, आत्मनिर्भरता और ख़ुद्दारी की मिसाल बता रहे हैं। उन्हें एक कामयाब बिज़नेस वुमन बताया जा रहा है। आगे बढ़ने से पहले वायरल पोस्ट का ये हिस्सा पढ़िए –  

‘शुरुआती दिनों में ही उर्वशी ने दिन में 2500 से 3000 रु कमाने शुरू कर दिए थे। आज उनके रेस्तरां में कई पकवान हैं पर उनके छोले-कुलचे लोगों के दिल और जुबां पर छाए हुए हैं। उर्वशी ने दुनिया को बताया कि अगर खुद पर विश्वास हो तो आप हर परिस्थिति से बाहर निकल सकते हैं।’

उर्वशी से जुड़ी दो अलग-अलग कहानियां हैं। एक वो जो खुद उर्वशी ने हमें बताई और दूसरी वो जो वायरल पोस्ट में कही जा रही है। दो अलग-अलग दावे हैं। एक ही इंसान के बारे में। जिस उर्वशी की कहानी को लाखों लोग कामयाबी की कहानी मान कर पढ़ रहे हैं। उनकी तारीफ कर रहे हैं और दूसरों को भी पढ़ा रहे हैं, आखिर वो आज किस हाल में हैं?

Those who are telling the example of self-reliance on social media, they became unemployed due to the small-selling Urvashi Corona | सोशल मीडिया पर जिसे आत्मनिर्भरता की मिसाल बता रहे हैं, वो छोले-कुलचे बेचने वाली उर्वशी कोरोना के चलते बेरोजगार हो गईं 2

साल 2016 में उर्वशी के पति एक हादसे का शिकार हो गए। उसके बाद घर का खर्च चलाने के लिए उर्वशी ने छोले-कुलचे का ठेला लगाना शुरू किया।

उर्वशी कहती हैं, ‘ये सही बात है कि मैं सड़क किनारे छोले-कुलचे का ठेला लगाती थी। पति के साथ हुए एक हादसे के बाद मुझे ये करना पड़ा। इस काम के सहारे मैं अपना परिवार चला रही थी, लेकिन पहले नोटबंदी और अब लॉकडाउन ने मेरा काम चौपट कर दिया। नोटबंदी के बाद तो मैं किसी तरह से संभल गई थी, लेकिन लॉकडाउन से पार पाना तो मुश्किल लग रहा है।’

2004 में उर्वशी ने अपने साथ नौकरी कर रहे एक लड़के से प्रेम विवाह किया। जिंदगी ठीक से गुजर रही थी। पति एक रियल स्टेट कम्पनी में काम करते थे और उर्वशी खुद घर संभालती थीं। 2016 में उनके पति के साथ एक हादसा हुआ, जिसके बाद वो दफ्तर नहीं जा सके। घर आने वाली आमदनी बंद हो गई। दवाई और इलाज का खर्च अलग होने लगा। इन हालात के चलते उर्वशी ने अपने घर के पास ही ठेले पर छोले-कुलचे बेचना शुरू किया। वो कहती हैं, ‘शुरू में तो मुझे कुछ समझ नहीं आया। पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।’

Those who are telling the example of self-reliance on social media, they became unemployed due to the small-selling Urvashi Corona | सोशल मीडिया पर जिसे आत्मनिर्भरता की मिसाल बता रहे हैं, वो छोले-कुलचे बेचने वाली उर्वशी कोरोना के चलते बेरोजगार हो गईं 3

उर्वशी ने बताया कि कोरोना से पहले मैं एक दिन में तीन हजार रुपए तक कमा लेती थी, लेकिन लॉकडाउन ने मेरा सबकुछ तबाह कर दिया। अब फिर से मैंने ठेला लगाना शुरू किया है।

वो बताती हैं कि मुझे खाना बनाना पसंद है और इसी वजह से मैंने छोले-कुलचे का ठेला लगाने का फैसला लिया। काम धीरे-धीरे ही सही लेकिन चल पड़ा। मैं एक दिन में तीन हजार रुपए तक कमाने लगी थी। एक जगह लेकर रेस्तरां भी खोला। आसपास जितने भी रेस्तरां थे, उन सब के पास शराब पिलाने का लाइसेंस था। कायदे से मुझे भी ये लाइसेंस लेना चाहिए था, लेकिन मैंने नहीं लिया और इस वजह से उसे बंद करना पड़ा।’

इसके बाद उर्वशी फिर ठेला लगाने लगीं। हालांकि, उनके पास काफी सारे ऑर्डर आ रहे थे और काम भी अच्छा चल रहा था। लेकिन, फिर अचानक मार्च में कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में उन्हें अपना ठेला बंद करना पड़ा। उर्वशी कहती हैं, ‘हारना होता तो बहुत पहले ही हार गई होती। हां, एक बार फिर वहीं खड़ी हूं जहां से शुरू किया था।’ वो बताती हैं कि अब घर में रहकर ही फ़ूड ब्लॉगिंग करने की सोच रही हूं।

उर्वशी अकेली नहीं हैं, जिन्हें लॉकडाउन की वजह से नुकसान हुआ है। कंफेड्रेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के मुताबिक, लॉकडाउन के शुरुआती 40 दिनों में ही छोटे व्यापारी और दुकानदारों को 5.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। लॉकडाउन की वजह से देशभर में 7 करोड़ व्यापारियों, दुकानदारों की दुकानें, प्रतिष्ठान बंद रहे और बिक्री नहीं हुई, इसलिए यह नुकसान हुआ। इसका असर ये हुआ है 20% छोटे व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठान या दुकान हमेशा के लिए बंद करने पड़ सकते हैं।

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