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एक महीने पहलेलेखक: शशिकांत साल्वी

  • भारतीय समय के अनुसार 5 जुलाई की सुबह 8.37 बजे से 11.22 बजे होगा चंद्र ग्रहण
  • रविवार को किए जा सकेंगे पूर्णिमा से जुड़े पूजन कर्म

5 जुलाई को फिर चंद्र ग्रहण हो रहा है। महीनेभर में ये दूसरा चंद्र ग्रहण है। 30 दिन पहले 5 जून को भी चंद्र ग्रहण लगा था। ये ग्रहण मांद्य ग्रहण है, इसमें चंद्रमा के सामने धूल जैसी परत होती है। ये दिखाई नहीं देता। इसलिए, इसका कोई धार्मिक महत्व भी नहीं है।

इसे उपच्छाया और पेनुमब्रल ग्रहण भी कहते हैं। इस दिन आषाढ़ मास की पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा रहेगी। ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा और इसका धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा, इस वजह से पूर्णिमा से संबंधित सभी पूजन कर्म किए जा सकेंगे।

3 तरह के होते हैं चंद्र ग्रहण

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार चंद्र ग्रहण तीन तरह के होते हैं। पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक और उपच्छाया। पूर्णिमा तिथि पर जब पृथ्वी की छाया से चंद्र पूरी तरह ढंक जाता है तो पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है। चंद्र के कुछ भाग पर पृथ्वी की छाया पड़ती है और कुछ भाग दिखाई देता है तो आंशिक चंद्र ग्रहण होता है। इन दोनों ग्रहणों का धार्मिक महत्व होता है, इनका सूतक भी रहता है।

उपच्छाया, मांद्य यानी पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण में चंद्र पर पृथ्वी छाया पूरी तरह से नहीं पड़ती है। चंद्र के आगे सिर्फ धूल जैसी छाया दिखाई देती है। इस तरह के चंद्र ग्रहण का धार्मिक असर न होने से इसका महत्व नहीं है। ये मात्र एक खगोलिय घटना है।

कहां-कहां दिखेगा ये चंद्र ग्रहण

भारतीय समय के अनुसार 5 जुलाई की सुबह 8.37 बजे से ये चंद्र ग्रहण शुरू होगा और इसका मोक्ष 11.22 बजे होगा। ये ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, इरान, ईराक, रूस, चीन, मंगोलिया और भारत के सभी पड़ोसी देशों को छोड़कर शेष पूरी दुनिया में दिखाई देगा। इसके बाद 30 नवंबर को भी ऐसा मांद्य चंद्र ग्रहण होगा।

क्यों होता है चंद्र ग्रहण?

इस संबंध में धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं। धर्म के अनुसार, जब राहु चंद्र और सूर्य को ग्रसता है तो ग्रहण होते हैं। विज्ञान कहता है कि जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्र एक सीधी लाइन में आ जाते हैं और चंद्र पर पृथ्वी की छाया पड़ने लगती है तो चंद्र ग्रहण होता है। इसी तरह जब सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक सीधी लाइन आ जाते हैं तो चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।

30 दिन में 3 ग्रहण

5 जून को मांद्य चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण और फिर 5 जुलाई को मांद्य चंद्र ग्रहण हो रहा है। इस तरह 30 दिन तीन ग्रहणों का योग बना है। इसके बाद 30 नवंबर को मांद्य चंद्र ग्रहण होगा, ये एशिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में दिखेगा। साल के अंत में 14 दिसंबर को सूर्य ग्रहण होगा। ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा।

2020 के बाद 2023 में होगा मांद्य चंद्र ग्रहण

नासा की ग्रहण से संबंधित वेबसाइट के मुताबिक, 2020 से पहले 10 सालों में ऐसे चंद्र ग्रहण 6 बार हुए हैं। जबकि 2020 में ऐसे 2 मांद्य चंद्र ग्रहण हो चुके हैं, तीसरा 5 जुलाई को और चौथा ग्रहण 30 नवंबर को होगा। 2020 से पहले पिछले 10 सालों में 28 नवंबर 2012,  25 मार्च 2013, 18 अक्टूबर 2013, 23 मार्च 2016, 16 सितंबर 2016 और 11 फरवरी, 2017 को ऐसा चंद्र ग्रहण हो चुका है। 2020 के बाद 5 मई 2023 को फिर से ऐसा ही चंद्र ग्रहण होगा।

गुरु पूर्णिमा पर करें ये शुभ काम

आषाढ़ मास पूर्णिमा पर गुरु पूजन करने की परंपरा है। इस दिन अपने गुरु को अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें और उनका आशीर्वाद लें। अपने इष्टदेव की विशेष पूजा करें। हर माह पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा भी करने का नियम है। आप चाहें तो ये शुभ काम भी कर सकते हैं। इस दिन जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करवाने की परंपरा है।

महर्षि वेद व्यास की जयंती

प्राचीन समय में आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास ने ही गांधारी को सौ पुत्र होने का आशीर्वाद दिया था। इस पूर्णिमा के बाद 6 जुलाई से शिवजी का प्रिय सावन माह शुरू हो जाएगा।

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