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13 घंटे पहले

यदि सौरभ गांगुली आईसीसी अध्यक्ष पद के उम्मीदवार नहीं होते हैं, तो बीसीसीआई इंग्लैंड बोर्ड के चेयरमैन कोलिन ग्रेव्स (दाएं) को सपोर्ट करेगी। -फाइल फोटो

  • भारतीय शशांक मनोहर 2015 से लगातार आईसीसी चेयरमैन रहे, उन्होंने जुलाई में इस्तीफा दिया
  • नया चेयरमैन चुने जाने तक डिप्टी चेयरमैन इमरान ख्वाजा जिम्मेदारी संभाल रहे हैं
  • नए आईसीसी चेयरमैन के लिए सौरव गांगुली और इंग्लैंड के कोलिन ग्रैव्स का नाम सबसे आगे

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) को फिर भारतीय क्रिकेट से परेशानी होती नजर आ रही है। पीसीबी अध्यक्ष एहसान मनी ने माना कि आईसीसी में भारत का दबदबा है। उन्होंने कहा कि 6 साल से टॉप-3 देशों भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के ही लोग इस आईसीसी चेयरमैन की कुर्सी पर बैठे हैं। इस बार किसी दूसरे बोर्ड से सिलेक्शन होना चाहिए।

दरअसल, 2014 से आईसीसी में चेयरमैन पद तय किया गया। तब से इसमें दो चेयरमैन एन श्रीनिवासन और शशांक मनोहर रह चुके हैं। दोनों बार भारतीय को इस पद पर बैठाया गया। शशांक नवंबर 2015 से इस पद पर बने हुए थे। उन्होंने जुलाई में इस्तीफा दिया है।

तीन देशों ने कुर्सी के लिए राजनीति की थी
स्पोर्ट्स मैगजीन फोर्ब्स को दिए इंटरव्यू में मनी ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नए आईसीसी चेयरमैन के सिलेक्शन के लिए काफी समय लग रहा है। 2014 में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत ने कुर्सी बचाने के लिए राजनीति शुरू की थी। उसमें अब वे स्ट्रगल करते नजर आ रहे हैं। अब यही अच्छा होगा कि नया चेयरमैन बीग-3 (भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया) में से न हो।’’

आईसीसी चेयरमैन की रेस में कोलिन ग्रेव्स और सौरव गांगुली
इस बार नए चेयरमैन के लिए इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के अध्यक्ष कोलिन ग्रेव्स का नाम सबसे आगे हैं। उनके बाद बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली का नाम भी चल रहा है। हालांकि, गांगुली पहले ही इस पद के लिए चुनाव नहीं लड़ने की बात कह चुके हैं। वहीं, बीसीसीआई ने कहा कि यदि गांगुली उम्मीदवार नहीं होते हैं, तो बीसीसीआई कोलिन ग्रेव्स को सपोर्ट करेगी।

एहसान मनी आईसीसी चेयरमैन की रेस से बाहर
आईसीसी चेयरमैन के लिए एहसान मनी भी रेस में थे, लेकिन वे अब बाहर हो गए हैं, क्योंकि 2003 से 2006 तक आईसीसी अध्यक्ष रह चुके हैं। इस पर मनी ने कहा, ‘‘बोर्ड में हितों के टकराव एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। मैंने 17 साल के करियर में ऐसा पहले कभी नहीं देखा है। इस तरह के हितों के टकराव पारदर्शी नहीं हैं।’’ दरअसल, 2014 से पहले आईसीसी चीफ को आईसीसी प्रेसिडेंट कहा जाता था। बाद में आईसीसी चेयरमैन नाम तय कर दिया गया।

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