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  • Elon Musk Said: Now Headphones Are Not Needed, The New Brain Chip Will Bring Music Directly To The Brain, Will Also Relieve Depression.

न्यूयॉर्कएक दिन पहले

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जाने-माने कम्प्यूटर वैज्ञानिक ऑस्टिन हॉवर्ड से ट्विटर पर बातचीत के दौरान मस्क ने दावा किया कि कंपनी द्वारा बनाई गई यह डिवाइस संगीत को सीधे दिमाग तक पहुंचा देगी। -प्रतीकात्मक फोटो

  • कम्प्यूटर से दिमाग को जोड़ने वाली तकनीक पर टेस्ला सीईओ 28 अगस्त को खुलासा करेंगे
  • यह एक छोटे से चिप के बराबर होगा, इसे इंसान के दिमाग में इम्प्लांट किया जाएगा

दुनिया की मशहूर कंपनियों में से एक टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की न्यूरालिंक ब्रेन इम्प्लांट तकनीक सफल हो जाती है, तो दुनिया से हेडफोन जैसी चीज खत्म हो जाएगी। एलन मस्क एक प्रोजेक्ट को फंड कर रहे हैं जिसका नाम है-न्यूरालिंक। इसके तहत एक ऐसा कम्प्यूटर बनाया जा रहा है, जो एक छोटे से चिप के बराबर होगा। इसे इंसान के दिमाग में इम्प्लांट किया जाएगा।

जाने-माने कम्प्यूटर वैज्ञानिक ऑस्टिन हॉवर्ड से ट्विटर पर बातचीत के दौरान मस्क ने दावा किया कि कंपनी द्वारा बनाई गई यह डिवाइस संगीत को सीधे दिमाग तक पहुंचा देगी। यह डिवाइस किसी भी प्रकार की लत और डिप्रेशन से छुटकारा दिलाने में भी मददगार साबित होगी।

28 अगस्त को कंपनी के एक समारोह में इसे लॉन्च किया जा सकता है

एक इंच की इस चिप को सर्जरी कर इम्प्लांट किया जा सकता है। 28 अगस्त को कंपनी के एक समारोह में इसे लॉन्च किया जा सकता है। एलन मस्क ने 2016 में न्यूरालिंक नामक प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। इसके तहत अत्यंत बारीक और लचीले थ्रेड्स डिजाइन किए गए हैं, जो इंसान के बाल की तुलना में दस गुना पतले हैं और इसे सीधे दिमाग में इम्प्लांट किया जा सकता है।

यह चिप हजारों माइक्रोस्कोपिक थ्रेड से जुड़ी होगी। मस्क ने दावा किया कि इस ब्रेन कम्प्यूटर इंटरफेस टेक्नोलॉजी की मदद से कई तरह की न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का इलाज आसानी से किया जा सकता है। साथ ही यह डिवाइस लकवाग्रस्त और रीढ़ की चोट के इलाज के लिए वरदान साबित होगी।

इसका इंसानी परीक्षण अंतिम दौर में है

ट्विटर यूजर प्रणय पथोले ने पूछा कि क्या न्यूरालिंक का इस्तेमाल दिमाग के उस हिस्से को फिर से प्रशिक्षित करने के लिए किया जा सकता है, जो किसी भी तरह के व्यसन या डिप्रेशन पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, मस्क ने कहा- हां, बिल्कुल। साथ ही इस तकनीक को अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। बंदरों और चूहों पर सफल परीक्षण के बाद इसका इंसानी परीक्षण अंतिम दौर में है। 

कान के पीछे से कनेक्ट होगी चिप, स्मार्टफोन पर जानकारी ले सकेंगे
न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी इंसानों के दिमाग में ‘अल्ट्रा थिन थ्रेड्स’ के जरिए इलेक्ट्रॉड्स इम्प्लांट करने से संबंधित है। ये इंसान के दिमाग की स्किन में चिप और थ्रेड्स के जरिए कनेक्टेड होंगे। ये चिप रिमूवेबल पॉड से लिंक्ड होंगे, जिन्हें कानों के पीछे फिट किया जाएगा और बिना तार के दूसरे डिवाइस से कनेक्ट किया जाएगा। इसके जरिए दिमाग के अंदर की जानकारी सीधे स्मार्टफोन या फिर कम्प्यूटर में दर्ज होगी। 

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