- स्कंदपुराण के अनुसार सावन महीने में पानी में बिल्वपत्र डालकर नहाना चाहिए
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दैनिक भास्कर
Jul 03, 2020, 01:05 PM IST
हिंदू कैलेंडर के पांचवें महीने का नाम सावन है। यह महीना आषाढ़ के बाद और भाद्रपद के पहले आता है। इस महीने से ही वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है। काशी के ज्योतिषाचार्य और धर्म के जानकार पं. गणेश मिश्र ने बताया कि हिंदू पंचांग में सभी महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। हर महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के पर रखा गया है। श्रावण नाम भी श्रवण नक्षत्र पर आधारित हैं। सावन महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में रहता है। इसलिए प्राचीन ज्योतिषियों ने इस महीने का नाम श्रावण रखा है। सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र के संयोग में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है।
- इस महीने के देवता शुक्र हैं और भगवान शिव के साथ इस महीने में भगवान विष्णु के श्रीधर रूप की पूजा करनी चाहिए। इसलिए सावन महीने में इनकी ही पूजा और व्रत करने का महत्व बताया गया है। इस महीने में भगवान शिव, विष्णु और शुक्र की उपासना के दौरान कुछ नियमों को भी ध्यान में रखना चाहिए। जैसे पूरे महीने पत्तियों वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिए। सात्विक भोजन करना चाहिए। मांसाहार और हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए। इस महीने में ज्यादा मसालेदार भोजन से भी बचना चाहिए। इसके साथ ही ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। सावन महीने में भगवान शिव के साथ विष्णु जी के अभिषेक का भी बहुत महत्व है। सावन में शुक्र और भगवान विष्णु की पूजा करने से दांपत्य सुख बढ़ता है।
स्कंदपुराण के अनुसार क्या करें
स्कंदपुराण के अनुसार सावन महीने में एकभुक्त व्रत करना चाहिए। यानी एक समय ही भोजन करना चाहिए। इसके साथ ही पानी में बिल्वपत्र या आंवला डालकर नहाना चाहिए। इससे जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस महीने के दौरान भगवान विष्णु का वास जल में होता है। इसलिए इस महीने में तीर्थ के जल से नहाने का बहुत महत्व है। मंदिरों में या संतों को कपड़ों का दान देना चाहिए। इसके साथ ही चांदी के बर्तन में दूध, दही या पंचामृत का दान करें। तांबे के बर्तन में अन्न, फल या अन्य खाने की चीजों को रखकर दान करना चाहिए।