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  • 14 day Quarantine Compulsory For Kavadhyatris In Haridwar, Kavad Mela Will Not Be Held In Deoghar For The First Time In 200 Years; Kawandis Will Not Get Admission Even In Mahakal

एक महीने पहले

  • 6 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन मास, महाकाल में भी कांवड़ियों को नहीं मिलेगा प्रवेश
  • देवघर में कांवड़यात्रा पर आज हाईकोर्ट सुना सकता है फैसला

6 जुलाई से 3 अगस्त तक सावन मास रहेगा। आमतौर पर देशभर में इस महीने में कांवड़ यात्रा का दौर चलता है, लेकिन इस साल बोलबम के जयकारे लगाते कांवड़यात्री सड़कों पर नहीं दिखाई देंगे। उत्तराखंड, झारखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत के ज्यादातर शिवालयों में कांवड़ियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

हरिद्वार में कांवड़ यात्री आए तो उन्हें 14 दिन क्वारैंटाइन में रहना होगा, वो भी खुद के खर्च पर। हम आपको इन राज्यों के प्रमुख देवस्थानों में कांवड़यात्रा और सावन में दर्शन को लेकर क्या निर्देश हैं और तैयारियां हैं, इस बारे में बता रहे हैं। 

गंगा का महत्व शिव से जुड़ा है। शिव की जटाओं से निकली गंगा नदी के जल से अभिषेक का महत्व है। कांवड़यात्रियों पर प्रतिबंध के कारण इस साल सावन महीने में लगभग 200 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है।

  • हरिद्वार से गंगाजल भरने के लिए राज्य की अनुमति

हरिद्वार में पिछले साल सावन में लगभग 3.5 करोड़ कांवड़यात्री आए थे। पिछले एक दशक में यहां कांवड़यात्रियों का आंकड़ा काफी बढ़ा है। आमतौर पर यहां बाहरी राज्यों उत्तर प्रदेश, हिमाचल और हरियाणा से लोग गंगाजल भरने आते हैं। गंगा के जल से भगवान शिव का अभिषेक करने का महत्व है। स्थानीय व्यापारियों के मुताबिक, इस एक महीने में यहां 100 से 150 करोड़ का बिजनेस होता है। 

  1. हरिद्वार में बाहरी राज्यों और उत्तराखंड के अन्य जिलों से आए यात्रियों को जिले की सीमा पर ही रोक दिया जाएगा। 
  2. अन्य सीमा से लगे अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश, हिमाचल और हरियाणा के अधिकारियों के साथ हरिद्वार के अधिकारियों ने मीटिंग की है। 
  3. हरिद्वार प्रशासन ने तय किया है कि अगर कोई कांवड़यात्री हरिद्वार आया तो उसे खुद के खर्च पर 14 दिन क्वारैंटाइन में रहना होगा। 
  4. लोग कांवड़ों में गंगाजल भर सकेंगे, लेकिन उसके लिए उन्हें अपने राज्यों से परमिशन लेकर आना होगा। 
14-day quarantine compulsory for Kavadhyatris in Haridwar, Kavad Mela will not be held in Deoghar for the first time in 200 years; Kawandis will not get admission even in Mahakal | हरिद्वार में कांवड़यात्रियों के लिए 14 दिन का क्वारैंटाइन अनिवार्य, देवघर में 200 साल में पहली बार कांवड़ मेला नहीं लगेगा 1

महाकालेश्वर मंदिर में 8 जून से दर्शन शुरू किए गए हैं।

  • महाकाल में नहीं मिलेगा प्रवेश 

यहां सावन में हर साल 20 से 25 लाख लोग महीने भर में आते हैं। खासतौर पर श्रावण सोमवार को यहां राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से आने वाले यात्री बड़ी संख्या में होते हैं। सावन के सोमवार पर भगवान महाकाल की सवारी भी निकलती है, जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग उज्जैन पहुंचते हैं। 

  1. पूरे सावन मास में कांवड़यात्रियों के लिए प्रवेश पर पाबंदी रहेगी। 
  2. उज्जैन के महाकाल मंदिर से निकलने वाली सावन सवारियों में भी लोगों के शामिल होने पर रोक रहेगी। 
  3. सवारी का रास्ता भी छोटा किया गया है। अभी मंदिर में फिलहाल तीन से पांच हजार लोग रोज दर्शन कर रहे हैं। 
  4. दर्शन के लिए मंदिर की वेबसाइट या ऐप पर एक दिन पहले अनुमति लेनी होगी। 
14-day quarantine compulsory for Kavadhyatris in Haridwar, Kavad Mela will not be held in Deoghar for the first time in 200 years; Kawandis will not get admission even in Mahakal | हरिद्वार में कांवड़यात्रियों के लिए 14 दिन का क्वारैंटाइन अनिवार्य, देवघर में 200 साल में पहली बार कांवड़ मेला नहीं लगेगा 2

ओमकारेश्वर में ज्योतिर्लिंग के दो स्वरूप माने जाते हैं, पहला ओमकारेश्वर और दूसरा ममलेश्वर महादेव।

  • ओमकारेश्वर में भी नर्मदा किनारे नहीं दिखेंगे कांवड़यात्री

मध्य प्रदेश के दूसरे ज्योतिर्लिंग ओमकारेश्वर से भी नर्मदा का जल भरने बड़ी संख्या में लोग आते हैं। ओमकारेश्वर में नर्मदा परिक्रमा और ओमकारेश्वर पर्वत की परिक्रमा का भी खासा महत्व है। नर्मदा किनारे बसे इस कस्बे में सावन में 15 लाख से ज्यादा लोग पहुंचते हैं। यहां भी सावन के हर सोमवार पर भगवान ओमकारेश्वर की सवारी निकाली जाती है। 

  1. यहां भी भीड़ जमा होने पर रोक है। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के तहत ही दर्शन की अनुमति है। 
  2. कांवड़यात्रियों को भी यहां समूह में आने की अनुमति नहीं होगी। 
  3. नर्मदा से जलभर कर ज्यादातर लोग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करने आते हैं। 
  4. महाकालेश्वर में रोक होने के कारण इस साल नर्मदा किनारे भी यात्रियों के आवाजाही कम ही दिखेगी। 
14-day quarantine compulsory for Kavadhyatris in Haridwar, Kavad Mela will not be held in Deoghar for the first time in 200 years; Kawandis will not get admission even in Mahakal | हरिद्वार में कांवड़यात्रियों के लिए 14 दिन का क्वारैंटाइन अनिवार्य, देवघर में 200 साल में पहली बार कांवड़ मेला नहीं लगेगा 3

देवघर के ज्योतिर्लिंग बैजनाथ को लेकर काफी समय से विवाद रहा है। महाराष्ट्र के परली में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग माना जाता है लेकिन धर्मगुरुओं ने इसी को मान्यता दी है।

  • देवघर में 200 साल में पहली बार कांवड़ मेला नहीं लगेगा

झारखंड के देवघर के बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग में हर साल बड़ी संख्या में कांवड़यात्री आते हैं। हर साल सावन में लगभग 20 लाख लोग यहां दर्शन करते हैं। देवघर में 100-150 किमी पैदल चलकर भी कांवड़यात्री गंगा का जल भरकर लाते हैं और भगवान बैद्यनाथ का अभिषेक करते हैं। यहां का कांवड़ मेला भी प्रसिद्ध है। 

  1. झारखंड में 31 जुलाई तक लॉकडाउन बढ़ जाने के कारण यहां 200 साल में पहली बार कांवड़ मेला आयोजित नहीं होगा। 
  2. कांवड़यात्रियों के प्रवेश और मंदिर खोलने को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में 3 जुलाई को फैसला होना है। 
  3. इस समय झारखंड में सारे देवालय बंद हैं, इन्हें खोलने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है। 
  4. सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी बाबा बैद्यनाथ से माफी मांगते हुए कांवड़ मेला आयोजित ना करने की घोषणा कर दी है।  
  • उत्तर प्रदेश में भी रोक 

उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज आदि में कांवड़यात्रियों की खासी भीड़ रहती है। प्रयागराज के संगम से जलभर कर काशी विश्वनाथ के अभिषेक की परंपरा है। गोरखपुर के शिवालयों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अभिषेक के लिए पहुंचते हैं। यहां भी इन सब जगहों पर फिलहाल प्रतिबंध रहेगा। 

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