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  • एक्सपर्ट्स की सलाह- ध्यान रखें नौकरी से निकाले जाने और छंटनी में फर्क होता है
  • नौकरी जाने के बाद सबसे जयादा जोखिम बुरे विचारों के सच हो जाने का होता है
  • स्टडी के मुताबिक करीब 40% अमेरिकी कर्मचारी एक न एक बार टर्मिनेट किए गए हैं

दैनिक भास्कर

Jun 29, 2020, 01:18 PM IST

हॉली एप्साइन ओजाल्वो. कोरोनावायरस के कारण बहुत लोग अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं। कंपनियां रीस्ट्रक्चर कर कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। ऐसे में पहले से ही महामारी का बुरा दौर झेल रहे लोग मानसिक परेशानियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। ऐसे में हालात को समझना बेहद जरूरी है। अगर आप भी छंटनी का शिकार हुए हैं तो मन में कई सवाल आ रहे होंगे, लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप इस दौर को किस नजरिए से देखते हैं।

सोशल वर्कर और वर्कप्लेस कोच मेलोडी वाइल्डिंग कहती हैं कि सबसे अच्छी चीज जो आप कर सकते हैं वो है खुद की कहानी को बयां करना। खुद को शोक मनाने दें, लेकिन अगला कदम ऐसा होना चाहिए जिसका कुछ मतलब निकले। यह कोरोनावायरस के संदर्भ में खासतौर से जुड़ा है। नौकरी जाने का दर्द केवल अकेलेपन या आर्थिक मुश्किल के कारण नहीं बढ़ता है। अस्पष्टता और अनिश्चतता भी इसकी वजह हैं।

मेलोडी कहती हैं कि जॉब जाने पर जोखिम बुरे विचारों के सच हो जाने का होता है। आपको अपने मेंटल गेम में होना होगा, क्योंकि यहीं से आपकी कहानी कहने की शक्ति आएगी। 

इसे आपको हराने न दें

  • नौकरी से निकाला जाना बहुत बुरा होता है और निजी भी। बीते हफ्ते आपके पास काम था और डेडलाइन भी थी, लेकिन अचानक सब रुक गया। आपने पाया कि आपके साथी जिनकी नौकरी बच गई है, उन्हें जरूरी समझा गया, लेकिन आपको नहीं। अगर आप पहले ही इंपोस्टर सिंड्रोम से जूझ रहे हैं तो नौकरी से निकाला जाना असुरक्षा को पुख्ता करती है।
  • खुद को परेशान करने की सोच को दूर करें। खुद की आलोचना करना साइकोलॉजिकली नुकसान पहुंचा सकता है और आगे बढ़ने की क्षमता में बाधा डालता है। कई स्टडी बताती हैं कि निकाले गए कर्मचारी बुरे विचार और मेंटल हेल्थ बिगड़ने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। 2015 में मैंचेस्टर यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों की नौकरी गई है, वे लोग करीब एक दशक तक किसी और भरोसा करने की ताकत खो देते हैं। कुछ अन्य स्टडी बताती हैं कि किसी प्रिय की मौत के दुख से ज्यादा वक्त नौकरी जाने के दुख से निकलने में लगता है।  
  • बुरे विचारों को दिल से लगाने के बजाए खुद को यह बताएं कि यह सब महामारी के कारण हुआ था, जो पूरी इकोनॉमी को प्रभावित कर रहा था। इस वायरस ने केवल आपको नहीं निकाला है।

अपनी भाषा का ध्यान रखें

  • आपका टर्मिनेशन बताने का तरीका आपके हालात को बताता है। कुछ लोग “निकाला जाने” और “छंटनी होने” के कारण को बदल-बदल कर बताते रहते हैं, लेकिन इसमें फर्क होता है। निकाले जाने का मतलब होता है कि आपकी गलती थी। जबकि छंटनी होने का मतलब है कि कंपनी के हालात और रणनीति के कारण ऐसा हुआ है।

किसी काम में लगकर अपनी कीमत याद रखें

  • शर्मिंदगी या तनाव से बचने के लिए कोई अच्छा काम करने की कोशिश करें। जैसे जरूरी पेपरवर्क, घर का बजट बनाना या अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए ऑनलाइन कोर्स करना। मेलोडी के मुताबिक, “सेल्फ डाउट को खत्म करने की सबसे अच्छी दवा एक्टिंग है। यह आपके मानसिक स्थिति को शिफ्ट करती है।” आप कई और काम भी कर सकते हैं, जैसे- अपने अनुभव दूसरों को देना, मीटिंग के लिए कॉफी पर जाना। 
  • इसके बावजूद करियर और एग्जीक्यूटिव कोच लतेशा बर्ड एप्लिकेशन सब्मिट करने जैसे कामों से बचने की सलाह देती हैं। क्योंकि इसमें काफी ज्यादा एनर्जी खर्च होती है। यह एनर्जी आप दूसरी बड़ी चीजों में भी खर्च कर सकते हैं, जैसे- अपने ब्रांड को बेहतर बनाना, अपनी खुद की वेबसाइट तैयार करना, सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी को चमकाना या पुराने कॉन्टेक्ट्स से मिलना। बर्ड अपने क्लाइंट्स को तीन C -“क्लेरिटी, कॉन्फिडेंस और कंट्रोल” पर फोकस करने की सलाह देती हैं। 

खुद पर शक करना छोड़ें

  • छंटनी आपको अलग कर सकती है। खासतौर पर तब जब आप घर से दूर अकेले रहकर काम कर रहे हों। याद रखें कि आप केवल इस वक्त अकेले नहीं है, बल्कि कई लोग किसी न किसी मोड़ पर एम्प्लॉयमेंट गैप का अनुभव करते हैं। एक स्टडी बताती है कि करीब 40 फीसदी अमेरिकी कर्मचारी एक न एक बार टर्मिनेट किए गए हैं। ऐसे में अपने कॉन्टैक्ट से बात करने की कोशिश करें।
  • हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर लॉरा हुआंग के मुताबिक, इस वक्त लोग नए काम को खोजने को लेकर सशक्त महसूस नहीं कर रहे हैं। ये लोग जिस दौर से गुजर रहे हैं उसे बताने में शर्म महसूस कर रहे हैं। ऐसे में अपनी क्षमता के हिसाब से नौकरी खोजने के बारे में सोचें। परेशानियों को सुलझाने के रास्ते खोजें।
  • डॉक्टर हुआंग ने बताया कि अपने इमोशन को डाटा की तरह इस्तेमाल करें। उनके अनुसार अंधे होकर चलने के बजाए अपने आप से सवाल करें कि आप क्यों शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। इससे सीखें और अपने इमोशन को अपनी फायदे में लगाएं।



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