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  • Nal And Neel Were The Sons Of Vishvakarma, Vishwakarma Puja On 17 Sept, Ramayana Story, Ramsetu Story, Nal And Neel Prasang

11 घंटे पहले

  • विश्वकर्माजी ने देवताओं के बनाए हैं अस्त्र-शस्त्र और महल, विश्वकर्मा जयंती पर मशीनरी और औजारों की विशेष पूजा करनी चाहिए

गुरुवार, 17 सितंबर को देवताओं के शिल्पी विश्वकर्माजी की जयंती है। इस पर्व को विश्वकर्मा पूजा भी कहा जाता है। इस दिन विश्वकर्माजी के साथ ही मशीनरी और औजारों की विशेष पूजा की जाती है। विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र, महल आदि बनाए हैं। रामायण में नल और नील कथा बताई गई है। मान्यता है कि नल और नील भगवान विश्वकर्मा के वानर पुत्र माने गए हैं। जानिए नल और नील से जुड़ी कथा…

श्रीरामचरित मानस के सुंदरकांड के अंत में श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ लंका पहुंचना चाहते थे। श्रीराम ने समुद्र देव से कई बार प्रार्थना की, लेकिन समुद्र ने वानर सेना को निकलने के लिए रास्ता नहीं दिया। तब श्रीराम ने समुद्र को सूखाने के लिए धनुष पर बाण चढ़ा लिया। इसके बाद डरकर समुद्र देव प्रकट हुए और उन्होंने श्रीराम को बताया कि आपकी सेना में नल-नील नाम के वानर हैं। वे जिस चीज को हाथ लगाते हैं, वह पानी में डुबती नहीं है। उनकी मदद से आप समुद्र पर सेतु बांध सकते हैं।

समुद्र की बात सुनकर श्रीराम ने नल-नील को बुलाया और समुद्र पर सेतु बांधने के लिए कहा। इसके बाद पूरी वानर सेना पत्थर लेकर आ रही थी और नल-नील समुद्र पर सेतु बनाने लगे। कुछ ही समय में नल-नील ने समुद्र पर सेतु बांध दिया। इस सेतु की मदद से पूरी वानर सेना लंका पहुंच गई।

ऋषियों ने नल-नील को दिया था शाप

नल-नील के बारे में प्रचलित एक कथा के अनुसार जब वे छोटे थे, उस समय ऋषियों को बहुत परेशान करते थे। नल-नील ऋषियों की पूजन सामग्री पानी में डाल देते थे। परेशान ऋषियों ने नल-नील को शाप दे दिया कि अब वे जो भी चीज पानी में फेंकेंगे वह डूबेगी नहीं। ऋषियों का यही शाप उनके लिए वरदान बन गया और नल-नील ने समुद्र पर पत्थरों से सेतु बांधने में मदद की। रामायण से जुड़ी कुछ कथाओं में सिर्फ नल के बारे में ही जिक्र है।

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