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- Taiwan’s Vice President Said China Should Not Make The Mistake Of Entering Our Border, We Want Peace But Will Save Our People
ताइपेई31 मिनट पहले
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यह फोटो मई 2019 में ताइवान की खाड़ी में मिलिट्री एक्सरसाइज करते ताइवान के सैनिकों की है। ताइवान ने गुरुवार को चीन को चेताया कि उसकी एयफोर्स बॉर्डर क्रॉस न करे। – फाइल फोटो
- ताइवान के उपराष्ट्रपति लाइ चिंग टे ने ट्वीट किया-चीन के फाइटर जेट्स आज फिर ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में घुसे
- एक महीने पहले भी चीन के फाइटर जेट्स ताइवान की सीमा घुस आए थे, इसके बाद ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी
ताइवान ने गुरुवार को चीन को अपनी सीमा में नहीं घुसने की चेतावनी दी। ताइवान के उपराष्ट्रपति लाइ चिंग टे ने ट्वीट किया- चीन ने आज (गुरुवार) फिर ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में अपने फाइटर जेट उड़ाए। वो लाइन क्रॉस न करे। ऐसी कोई भी गलती न करें। ताइवान शांति चाहता है लेकिन हम अपने लोगों को बचाएंगे।
Don’t cross the line. China again flew fighter jets into Taiwan’s Air Defense Identification Zone today. Make no mistake, Taiwan wants peace but we will defend our people.
— 賴清德Lai Ching-te (@ChingteLai) September 10, 2020
एक महीने पहले भी चीन के फाइटर जेट्स ने ताइवान की खाड़ी में इंटरनेशनल बॉर्डर क्रॉस किया था। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने चीनी सेना के लड़ाकू विमानों को ट्रैक करने की बात कही थी। इन विमानों को खदेड़ने का दावा किया था। ताइवान ने चीन के एयरफोर्स की इस हरकत पर आपत्ति जताई थी।
अमेरिका ताइवान के साथ
अमेरिका ने बीते हफ्ते अपना गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर ताइवान की खाड़ी में तैनात किया था। खास बात यह है कि अमेरिका ने पहले इसका ऐलान नहीं किया था। लेकिन, दो हफ्तों में अमेरिका ने दूसरी बार किसी डेस्ट्रॉयर को साउथ चाइना सी में भेजा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के इस कदम से साफ हो जाता है कि वो ताइवान की हर मुमकिन मदद करने के लिए तैयार है। अमेरिकी एनएसए ने पिछले हफ्ते साफ कर दिया था कि अगर ताइवान पर कोई हमला होता है तो अमेरिका चुप नहीं बैठेगा।
चीन ताइवान पर हमले की धमकी देता रहा है
चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ताइवान को हमला करने की धमकी देती रही है। चीन के विरोध के कारण ही ताइवान वर्ल्ड हेल्थ असेंबली का हिस्सा नहीं बन पाया था। चीन की शर्त थी कि असेंबली में जाने के लिए ताइवान को वन चाइना पॉलिसी को मानना होगा, लेकिन ताइवान ने शर्त ठुकरा दी थी। ताइवान में जबसे डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी सत्ता में आई है तबसे चीन के साथ संबंध ज्यादा खराब हुए हैं।
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