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- Unknwon Facts Of Jatayu And Sampati Of Ramayana, Sampathi Had Told Hanuman, Angad And Jamwant The Goddess Sita Is In Lanka
10 घंटे पहले
- रावण पुष्पक विमान से देवी सीता को हरण करके लंका ले जा रहा था, उस समय जटायु ने रावण से किया था युद्ध
त्रेता युग में पंचवटी से रावण पुष्पक विमान से देवी सीता का हरण करके लंका ले जा रहा था। उस समय जटायु नाम के एक गरुड़ ने रावण के युद्ध किया था। रामायण में जटायु के साथ ही संपाती नाम के एक और गरुड़ का जिक्र भी है।
संपाती और जटायु दोनों गरुड़ भाई थे। ये दोनों गरुड़ अरुण नाम के देवपक्षी की संतान थे। प्रजापति कश्यप के दो पुत्र थे गरुड़ और अरुण। गरुड़देव विष्णुजी वाहन बने और अरुण सूर्यदेव के सारथी बन गए।
रावण ने काट दिया था जटायु का एक पंख
जटायु ने रावण से युद्ध किया था और देवी सीता को बचाने की कोशिश की थी। इस युद्ध में रावण ने जटायु का एक पंख काट दिया था। पंख कटने के बाद जटायु उड़ नहीं सका और ऊंचाई से गिरने की वजह से घायल हो गया था। बाद में जटायु ने ही श्रीराम और लक्ष्मण को रावण के बारे में बताया कि वह देवी सीता का हरण करके ले गया है। इसके बाद जटायु की मृत्यु हो गई थी।
संपाती ने हनुमानजी, अंगद और जांबवंत को बताया था सीता के बारे में
जटायु के भाई का नाम था संपाती। संपाती और जटायु एक बार अपने पिता सूर्यदेव के सारथी अरुण से मिलने जा रहे थे। कुछ ही ऊंचाई पर पहुंचने के बाद जटायु से सूर्य की गर्मी सहन नहीं हुई और वह वापस आ गया। लेकिन, संपाती आगे बढ़ते रहा, कुछ समय बाद सूर्य की तेज गर्मी से उसके पंख जल गए। इसके बहुत समय बाद जब हनुमानजी, अंगद, जांबवंत और अन्य वानर सीता की खोज में दक्षिण दिशा में आगे बढ़ रहे थे। तब उनकी भेंट संपाती से हुई।
हनुमानजी और जांबवंत ने जटायु की मृत्यु का समाचार संपाती को दिया था। संपाती की दूर नजर बहुत तेज थी। उसने वहीं से समुद्र पार लंका में सीता को देख लिया था और हनुमानजी, अंगद, जांबवंत को बताया था कि सीता लंका में ही है। इसके बाद हनुमानजी देवी सीता की खोज में लंका पहुंचे।