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  • Agriculture Minister Tomar Introduced 2 Bills Related To Farming In Rajya Sabha, Said These Will Change The Lives Of Farmers, They Have No Relation With MSP

नई दिल्ली9 मिनट पहले

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राज्यसभा में किसानों से जुड़े विधेयकों को पेश करते कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर।

  • कोरोना की वजह से सदन की कार्यवाही में 10 सांसद नहीं ले रहे हिस्सा
  • कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल कृषि सुधार के बिल का कर रहे हैं विरोध

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को खेती से जुड़े दो बिल फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल राज्यसभा में पेश किए। उन्होंने कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि बिलों की संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नहीं है।

उधर, कांग्रेस ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरंट पर साइन नहीं करेंगे। बिलों को लेकर पंजाब-हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं, इसी मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। बिल लोकसभा से पास हो चुके हैं।

केजरीवाल बोले- सब मिलकर बिल का विरोध करें

आम आदमी पार्टी ने भी किसानों से जुड़े बिल का विरोध किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके सभी विपक्षी दलों से इस बिल के विरोध में वोटिंग करने को कहा है।

सदन में कौन-क्या बोला?

  • आरजेडी के सांसद प्रो. मनोज कुमार झा ने कहा, ” प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि किसान बिल पर कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं, जबकि हकीकत ये है कि आपने तो सबकी राहें ही गुम कर दी हैं। बिल में कई चीजें स्पष्ट नहीं हैं। ये किसान विरोधी बिल है।”
  • डीएमके सांसद टीकेएस एलंगोवन ने भी कृषि विधेयकों का विरोध किया। उन्होंने कहा, देश के कुल जीडीपी में कम से कम 20% का योगदान करने वाले किसानों को इन विधेयकों के जरिए गुलाम बनाया जाएगा। यह किसानों को मार देगा और उन्हें एक वस्तु बना देगा।
  • समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि ऐसा लगता है कि सत्ताधारी पार्टी इन बिल पर चर्चा ही नहीं करना चाहती है। ये केवल इन बिल को पास कराने के लिए इसे पेश कर रहे हैं। यही नहीं, इस बिल को रखने से पहले किसानों के किसी संगठन से चर्चा भी नहीं की।
  • तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की इनकम डबल करने का वादा किया है, लेकिन मौजूदा दर के हिसाब से तो 2028 तक डबल नहीं हो सकता। आपके (प्रधानमंत्री) वादों से आपकी विश्वसनीयता कम होती जा रही है।
  • माकपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक ने विधेयकों में संशोधन की मांग की। इसे राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रखा।
  • कांग्रेस ने बिल का विरोध किया। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरंट पर साइन नहीं करेंगे।
  • भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस से पूछा कि जब आपकी सरकार थी तो साल दर साल ग्रामीण क्षेत्रों की आय क्यों कम हुई? आप इस बिल का क्यों विरोध कर रहे हैं?

सदन में सदस्यों के आंकड़ों का गणित?

  • 245 सदस्यों वाली राज्य सभा में दो सीट खाली है। इस तरह से अभी कुल सदस्यों की संख्या 243 है।
  • सरकार को बिल पास कराने के लिए 122 सदस्यों का साथ चाहिए होगा।
  • 10 सदस्य कोरोना की वजह से सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे।
  • अभी भाजपा के 86 सांसद और उसकी सहयोगी दलों (अकाली दल को छोड़कर) के सदस्यों को मिला लें तो यह 105 हो जाती है।
  • बिल पास कराने के लिए सरकार को विपक्षी दलों के 17 सदस्यों का साथ चाहिए।
  • 9 सदस्यों वाली अन्नाद्रमुक ने बिल के समर्थन का ऐलान किया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने तीनों कृषि विधेयकों का समर्थन करने को कहा है। इस तरह बिल के समर्थन में 114 सांसद हो जाते हैं।
  • शिवसेना ने भी बिल का समर्थन किया है। सदन में शिवसेना के 3 सदस्य हैं। ऐसे में बिल के समर्थन में 117 हो जाते हैं।
  • अब सरकार को 5 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बीजेडी के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 6, टीआरएस के 7, और टीडीपी के 1 सदस्य की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। इन दलों के कुल सदस्यों की संख्या 23 है।

क्या हैं ये विधेयक?

  • कृषि सुधारों को टारगेट करते हुए लाए गए यह तीन विधेयक हैं- द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल 2020; द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस बिल 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020।
  • इन तीनों ही कानूनों को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 5 जून 2020 को ऑर्डिनेंस की शक्ल में लागू किया था। तब से ही इन पर बवाल मचा हुआ है। केंद्र सरकार इन्हें अब तक का सबसे बड़ा कृषि सुधार कह रही है। लेकिन, विपक्षी पार्टियों को इसमें किसानों का शोषण और कॉर्पोरेट्स का फायदा दिख रहा है।
  • कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के विरोध के बाद भी एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल लोकसभा में पारित हो गया है। अब राज्यसभा में रखा गया है।

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