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नई दिल्ली15 मिनट पहले
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बिल गेट्स ने कहा कि वैक्सीन के तैयार होने के बाद बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन के लिए पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर होगी। (फाइल फोटो)
- 2021 में वैक्सीन के आने की सम्भावना, तब हमें बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन की जरूरत पड़ेगी : गेट्स
- वैक्सीन के उत्पादन और डिलिवरी को बढ़ाने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट के साथ काम कर रहा फाउंडेशन
दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने कोरोना को वर्ल्ड वॉर के बाद की सबसे बड़ी घटना बताया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि कोरोना वैक्सीन बनाने को लेकर भारत की इच्छाशक्ति और इसे विकसित देशों को सप्लाई करने की क्षमता विश्व में इस महामारी को रोकने में अहम भूमिका निभाएगी।
न्यूज एजेंसी का दिए एक इंटरव्यू में गेट्स ने कहा कि वैक्सीन तैयार होने के बाद बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन के लिए पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर होगी।
अगले साल तक वैक्सीन मिलने की उम्मीद
उन्होंने कहा कि हम सब चाहते हैं कि भारत में जल्द से जल्द सुरक्षित और असरकारी वैक्सीन तैयार हो जाए। इसके बाद ही हमारा प्लान फोकस में आएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले साल यानि 2021 में वैक्सीन आ सकता है। तब हमें बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन की जरूरत पड़ेगी। दूसरे विकासशील देशों को भी इसे उपलब्ध कराने के लिए दुनिया भारत की ओर देख रही है। हालांकि, इसे पहुंचाने का क्या तरीका होगा यह तय करना होगा।
सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलाया हाथ
दुनिया की सबसे बड़ी चैरिटी में से एक बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन दुनिया में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभा रही है। भारत में फाउंडेशन ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ हाथ मिलाया है। इसका लक्ष्य कोरोना वैक्सीन के उत्पादन और डिलिवरी को बढ़ाना है।
‘‘जिन्हें ज्यादा जरूरत, भारत की मदद से वहां पहुंचेगी वैक्सीन
उन्होंने कहा कि भारत यह तय करने में मदद करेगा कि हम सब एक बराबर हैं। हमारे पास एक मॉडल है, जो दिखाता है कि वैक्सीन उनके लिए है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। इससे आधी जिंदगी बच जाएगी। अगर आप इसे सिर्फ अमीर देशों को भेजते हैं, तो आप कई सारी जिंदगियों को खो देंगे।
नीति आयोग के साथ भी चर्चा कर रहे हैं
टेलीफोनिक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि हम वैक्सीन के भारत में उत्पादन पर विचार कर रहे हैं, फिर चाहे वह एस्ट्राजेनेका, ऑक्सफोर्ड या नोवावैक्स या जॉनसन एंड जॉनसन से आए। हमने सार्वजनिक रूप से उस व्यवस्था के बारे में बात की है, जहां सीरम एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स वैक्सीन को बड़ी मात्रा में बनाने में सक्षम होगा।
उन्होंने कहा कि इस बारे में बायो-ई और जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन के साथ चर्चा हो रही है । हमारा फाउंडेशन भारत के नीति आयोग के साथ भी चर्चा कर रहा है।
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