- अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की मौत के विरोध में हुए प्रदर्शनों में कोलंबस की मूर्तियों को तोड़ा गया था
- 2003 के कानून में जुर्माने और 10 साल जेल होती थी, व्हाइट हाउस ने नए आदेश का ब्योरा नहीं दिया
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दैनिक भास्कर
Jun 27, 2020, 02:46 PM IST
वॉशिंगटन. अमेरिका में स्मारकों और मूर्तियों को नुकसाने पहुंचाने वालों को अब लंबे समय के लिए जेल जाना होगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इससे जुड़े कार्यकारी आदेश पर शनिवार को दस्तखत कर दिए। हालांकि, व्हाइट हाउस ने अभी इस आदेश का ब्योरा नहीं दिया है। 2003 में पारित कानून वेटरन्स मेमोरियल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत यहां ऐसे मामलों में जुर्माना और 10 साल की सजा का प्रावधान है। 25 मई को यहां अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इसके विरोध में हुए प्रदर्शनों में कुछ मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था।
ट्रम्प ने कहा- यह आदेश बेहद सख्त
ट्रम्प ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नए आदेश में कई चीजों को शामिल किया गया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “मुझे अमेरिकी स्मारकों और मूर्तियों की रक्षा करने वाले बेहद सख्त कार्यकारी आदेश पर दस्तखत करने का विशेषाधिकार मिला था। हमारे महान देश के खिलाफ कानून विरोधी-प्रदर्शन करने वालों को जेल की सजा काटनी पड़ेगी।”
I just had the privilege of signing a very strong Executive Order protecting American Monuments, Memorials, and Statues – and combatting recent Criminal Violence. Long prison terms for these lawless acts against our Great Country!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) June 26, 2020
कोलंबस की मूर्तियां तोड़ दी गई थीं
फ्लॉयड की मौत के विरोध में अमेरिका की खोज करने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस की बोस्टन में और मियामी में लगी मूर्तियों को तोड़ दिया गया था। वर्जीनिया के रिचमंड में कोलंबस की मूर्ति को तालाब में फेंक दिया गया था। कोलंबस को अमेरिका में उपनिवेशवाद की शुरुआत करने वाला माना जाता है। प्रदर्शनकारियों ने व्हाइट हाउस के पास लगी पूर्व राष्ट्रपति एंड्रियू जेक्सन की मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी। कुछ जगहों पर तोड़फोड़ की आशंका में मूर्तियां पहले ही हटा ली गई थीं।
फ्लॉयड पर पुलिस की बर्बरता का वीडियो वायरल हुआ था
मिनेपोलिस शहर की पुलिस ने 25 मई को फ्लॉयड को धोखाधड़ी के आरोप में पकड़ा था। इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने उन्हें हथकड़ी पहनाई और जमीन पर उल्टा लिटाकर उसकी गर्दन को घुटने से करीब 9 मिनट तक दबाए रखा। इससे जॉर्ज की सांसें रुक गईं और मौत हो गई। घटना का वीडियो वायरल होते ही पुलिस क्रूरता और सामाजिक अन्याय के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन, डेनमार्क, जर्मनी, फ्रांस, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा समेत दुनिया के कई देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए।