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नई दिल्लीएक घंटा पहलेलेखक: पूनम कौशल

  • जब वो बुज़ुर्ग दादी अपने साथ हुई दरिंदगी बयान कर रहीं थीं, कोने में खड़ी पंद्रह साल की उनकी पोती के चेहरे पर डर और खौफ तैरता जा रहा था, मानों डर ने उसे जकड़ लिया हो
  • पड़ोसी महिला कहती हैं, ‘अगर कोई जवान लड़की या हम जैसी औरत होती तो लोग कहते कि करने क्या गई थी, लेकिन इस 90 साल की बूढ़ी पर क्या इल्जाम लगाओगे?’

दक्षिणी दिल्ली के बाहरी इलाके के इस गांव में एक अजीब सी उदासी है। महिलाओं के चेहरे पर खौफ साफ नजर आ रहा है। एक पुराने घर में गांव की सबसे बुजुर्ग महिला को घेर कर बैठी महिलाएं उनके दुख को बांटने की कोशिश कर रही हैं। मैं जैसे ही आगे बढ़ती हूं, वो बुजुर्ग महिला उठकर मुझे गले लगा लेती है। कांपते हुए हाथ सर पर फेरकर दुआ देती है।

झुकी हुई कमर, सूजा हुआ चेहरा, चोट के नीले निशान, सूखे होंठ, कांपते हाथ, जख्मों को छुपाने की नाकाम कोशिश करती झुर्रियां और रो-रोकर सूख गई आंखें। उस बुजुर्ग के आंसू मेरी आंखों में उतर आए।

किसी तरह अपनी सिसकियों को संभालकर वो कहती हैं, ‘उस दरिंदे को फांसी टूटनी चाहिए, इस उम्र में मेरा ये हाल किया है। 90 साल की हो गई, कभी बुखार नहीं चढ़ा, बीमार नहीं पड़ी, कभी गोली-दवाई नहीं खाई, अब इस उम्र में मेरे साथ ये दरिंदगी की गई है, अस्पताल, थाने, अदालत के चक्कर लगाने पड़ेंगे। उस दरिंदे को फांसी टूटेगी तो मुझे सब्र आएगा।’

‘भगवान ने मुझे बहुत मज़बूत दिल दिया था, कभी परेशान नहीं हुई। उसने 90 साल की उम्र में मेरा करम फोड़ दिया। इतना सताया कि मेरा दिल चकनाचूर हो गया। एक पल सब्र नहीं आ रहा।’ ‘मेरे चेहरे पर घूंसे ही घूंसे मारे, दांत नहीं है, मसूड़े फोड़ दिए। रोटी भी नहीं खा पा रही हूं। बूढ़ी आत्मा के साथ ये परेशानी करी है, उसे फांसी ही टूटनी चाहिए।’

बलात्कार पीड़ित उस बुज़ुर्ग महिला ने मेरे कान के पास आकर धीमी आवाज़ में जो कहा उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उस दर्द को सिर्फ एक औरत ही समझ सकती है। मुझे लगा कि औरत चाहें छह महीने की मासूम हो या नब्बे साल की बुज़ुर्ग, वो एक औरत ही रहती है।

जब वो बुज़ुर्ग दादी अपने साथ हुई दरिंदगी बयां कर रहीं थीं, कोने में खड़ी पंद्रह साल की उनकी पोती के चेहरे पर डर और खौफ तैरता जा रहा था। उसका चेहरा सूखता जा रहा था। आंखें लाल हो रहीं थीं। मानों डर ने उसे जकड़ लिया हो। दादी बोल रहीं थी, उनकी बहू, अड़ोस-पड़ोस की औरतें खामोशी से सुन रहीं थीं। उनके भीतर कुछ धधक रहा था जिसे वो कहना तो चाह रही हों, लेकिन कह न पा रही हों।

सात सितंबर को हुआ क्या था?

शाम के चार बजे होंगे। पीड़ित बुजुर्ग गांव के मंदिर के पास अपने घर के बाहर बैठी थीं। पड़ोसी गांव का सोनू धीमर अपनी स्कूटी पर आया और झांसा देकर बुजुर्ग महिला को बिठा ले गया। अभियुक्त पीड़ित बुज़ुर्ग महिला को दोनों गांवों के बीच जंगल में खेत पर बने एक कमरे पर ले गया था। यहां उसने दो घंटे तक दादी के साथ बलात्कार किया।

वो बताती हैं, ‘उसने कहा ताई तेरा दूधिया आया है उससे मिलवा लाता हूं। रास्ते में मैं उससे कहती रही मुझे कहां जंगल की तरफ ले जा रहा है तो वो बोला, फार्म पर दो हजार रुपए रखे हैं, वो लेने जा रहा हूं। मैंने कहा कि मैं गिर जाऊंगी तो भी वो नहीं माना।’

‘मैं मोटरसाइकिल से उतर गई तो गोदी भरकर फार्म पर ले गया। घसीटते हुए। मेरा जिस्म कांटों से छलनी हो गया। चार बजे ले गया था, छह-सात बजे तक मुझे छोड़ा नहीं।’ ‘मैं उससे कहती रही, ये भाई मुझे बाहर ले चल, मेरा जी घबरावे है, मुझे पसीना आ रहा है। मगर उसने एक ना सुनी। मुझे पूरी नंगी करके ऐसे घसीटा जैसे कुत्ते को घसीटै हैं।’

‘मैं गिड़गिड़ाती रही की मैं तेरी दादी जैसी हूं, भगवान देख रहा है, लेकिन उसने एक ना सुनी। मेरे साथ उसने हर वो दरिंदगी की जो वो कर सकता था। वो भी किया जो कोई किसी के साथ नहीं करता। मेरी लेटरीन वाली जगह में ज़बरदस्ती की।’

कांपती आवाज में दादी मेरे कान के पास आकर कहती हैं, ‘बेटी, मेरा पूरा गला तक छिला हुआ है। पानी तक नहीं पी पा रही हूं। वो कहती हैं, ‘वो मुझे फार्म पर जान से ही मार देता। मैं पूरी हिम्मत से चिल्लाई, मेरी किस्मत अच्छी थी कि कुछ लोग वहां आ गए और मुझे बचा लिया।’

बुजुर्ग की आवाज सुनकर मौके पर पहुंचे एक युवक ने बताया, ‘वो बहुत नशे में लग रहा था। उसने दादी को पकड़ रखा था। रस्सी से जकड़ रखा था। मैंने उसे पकड़ा, फिर पुलिस को बुलाया। जब तक पुलिस आई उसे खूब मारा पीटा, लग रहा था जैसे कोई ड्रग्स ले रखा हो। हम तो उसे जिंदा ही जला देते, वो तो पुलिस आ गई और उसे ले गई।’

स्थानीय लोगों के मुताबिक अभियुक्त हाल ही में जेल से छूटकर आया था। उसे मारपीट के मामले में गिरफ़्तार किया गया था। गांव के लोगों का कहना है कि उसने एक महिला के साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की थी और उसके पति के साथ मारपीट की थी, जिसके मुकदमे में वो जेल गया था। उसने एक साल पहले एक बच्ची के साथ भी दरिंदगी करने की कोशिश की थी, तब भी गांव के लोगों ने उसे बहुत मारा पीटा था लेकिन मामला थाने तक नहीं पहुंचा था।

झुकी हुई कमर, सूजा हुआ चेहरा, चोट के नीले निशान, सूखे होंठ, कांपते हाथ, जख्मों को छुपाने की नाकाम कोशिश करती झुर्रियां 1

औरतों में बैठ गया है खौफ
करीब पचास साल की उम्र की एक पड़ोसी महिला कहती हैं, ‘अगर कोई जवान लड़की या हम जैसी औरत होती तो लोग कहते कि करने क्या गई थी. सब उस पर ही इल्जाम लगा देते। लेकिन इस 90 साल की बूढ़ी पर क्या इल्जाम लगाओगे? गांव की सबसे बुजुर्ग महिला हैं ये, पूरा गांव इनकी इज्जत करता है। अब इनके साथ ऐसा हो गया। हम जैसी औरतें कहां जाएं?’

वो कहती हैं, ‘पहले रात-बेरात हम घर से बाहर निकल जाते थे, जंगल में चले जाते थे। अब तो सोचकर ही डर लग रहा है। सभी औरतें डरी हुई हैं। ये दरिंदगी हम औरतों के साथ ही क्यों होती है?’

कांपती आवाज़ के साथ पीड़िता की पंद्रह साल की पोती कहती है, ‘जब हमारी दादी के साथ ये हो सकता है तो किसी के साथ भी हो सकता है। अब तो स्कूल जाते भी डर लगेगा। स्कूल की सड़क भी सूनसान सी है।’ पीड़ित बुजुर्ग के बेटे कहते हैं, ‘मेरे पास फ़ोन आया कि तुम्हारी अम्मा खूनम खून हो रखी है। जब हम पहुंचे तो अभियुक्त को पुलिस ने गिरफ़्तार कर रखा था।’

मेडिकल रिपोर्ट में दर्ज है दरिंदगी
बुज़ुर्ग महिला की मेडिकल रिपोर्ट में उनके साथ बार-बार बलात्कार किए जाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, उनके निजी अंगों से ब्लीडिंग भी हुई है। मेडिकल रिपोर्ट बताती है कि बुजुर्ग के साथ अप्राकृतिक बलात्कार भी किया गया।

दादी बार-बार रोते हुए अपने जख़्म दिखा रहीं थीं, पेटीकोट उठाकर कांटों से छलनी टांगें दिखा रहीं थीं। सूजे हुए होंठ दिखा रहीं थीं, अपने चोटिल हाथों की झुर्रियां दिखा रहीं थी। अपने दुख, अपने दर्द को समझाने के लिए वो ऐसा कर रहीं थीं। वो बार-बार कह रहीं थीं कि उस दरिंदे को फांसी से कम कुछ ना हो। दादी के जिस्म पर लगे जख्म मेडिकल रिपोर्ट में दर्ज हैं। लेकिन, जो घाव उनकी आत्मा पर हुए हैं, वो शायद ही किसी को दिखाई दे।

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