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- China Monitoring India: What Is Hybrid Warfare? Details And Everything You Need To Know Zhenhua Data Information Technology
9 घंटे पहले
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- अब तक भारत सरकार 224 चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगा चुकी है
- इनके सर्वर चीन में थे और भारतीय यूजर्स के डेटा को इकट्ठा कर रहे थे
लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। विदेश मंत्री स्तर पर हुई बातचीत के बाद भी तनाव कम नहीं हुआ है। इस पर, भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने अब तक 224 से ज्यादा चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। तब तो बताया गया था कि इन ऐप्स के सर्वर चीन में है और वह इनके जरिये भारतीयों के साथ-साथ पूरी दुनिया के यूजर्स का डेटा जुटाया जा रहा है। यह हमारे देश की संप्रभुता के लिए खतरा बन रही है।
लेकिन, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट चौंकाने वाली है कि शिन्हुआ डेटा इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत एक हजार से ज्यादा भारतीयों की गतिविधियों को ट्रैक कर रही है। साथ ही उनके डेटा को एनालाइज कर रही है। यह एक निजी चीनी कंपनी है, जो चीन की सरकार के साथ मिलकर काम करती है।
किस तरह होती है साइबर ट्रैकिंग और यह कितनी खतरनाक है?
- इस संबंध में इंडियन एक्सप्रेस की जांच रिपोर्ट महत्वपूर्ण है। यह रिपोर्ट कहती है कि शिन्हुआ ने खुद को “थ्रेट इंटेलिजेंस सर्विसेस” के तौर पर प्रचारित किया है। सरल शब्दों में शिन्हुआ कंपनी साइबर टूल्स का इस्तेमाल करते हुए अपने क्लाइंट के विरोधियों को पहचान कर उन्हें टारगेट करती है।
- कंपनी पब्लिक डेटाबेस, सोशल मीडिया, सरकारी दस्तावेजों और अन्य स्रोतों से मिली जानकारी को एनालाइज कर टारगेट के डिजिटल फुटप्रिंट को ट्रैक करती है। इससे उसे इंस्टिट्यूशंस और ग्रुप्स के साथ-साथ उन लोगों के बारे में संवेदनशील जानकारी हासिल करने में मदद मिलती है जो टारगेट से जुड़े होते हैं।
- उदाहरण के लिए A नाम का शख्स बहुत प्रभावशाली है। उसका अपने देश में प्रभुत्व है। ऐसे में उससे संबंध रखने वाले B, C या D नाम के शख्स की गतिविधियों को भी ट्रैक किया जाता है। यह उस व्यक्ति के रिश्तेदार, सहयोगी, दोस्त या कर्मचारी भी हो सकते हैं।
- रिलेशनल डेटाबेस बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह शिन्हुआ को भारत के महत्वपूर्ण पहलुओं को जानने में मदद करता है, जैसे- दो लोगों के राजनीतिक विचार, प्रमुख व्यक्तियों के बर्ताव, व्यवहार से जुड़ी जानकारी, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर किन व्यक्तियों या संस्थाओं का प्रभाव है?
- इससे कहीं न कहीं यह पता लगाने की कोशिश होती है कि A क्या सोच रहा है? क्या प्लान कर रहा है? किस तरह डिसीजन ले रहा है और ले सकता है? इसी वजह से शिन्हुआ उससे जुड़े सभी व्यक्तियों की हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जानकारी जुटाता है।
किसे ट्रैक कर रही है शिन्हुआ डेटा कंपनी?
- जांच में इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि शिन्हुआ के डेटाबेस में राजनीति और कानून से जुड़े 1,350 लोगों के इंफर्मेशन ट्री शामिल हैं। उनके सर्विलांस में भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना जैसी पार्टियों के नेता शामिल हैं। 700 नेताओं को डायरेक्ट ट्रैक किया जा रहा है। इसके अलावा 100 से ज्यादा ऐसे लोगों को भी ट्रैक किया जा रहा है, जो इन पार्टियों से जुड़े नेताओं के परिजन हैं या सीधे-सीधे संबंध रखते हैं।
इस साइबर ट्रैकिंग का उद्देश्य क्या है?
- चीन की साइबर जासूसी गतिविधियों का मकसद भारत के राजनीतिक ढांचे में घुसपैठ करना है। ताकि भारत के मुकाबले में उसे अपर हैंड मिल सके। शिन्हुआ की थ्रेट इंटेलिजेंस सर्विस वैसी ही है, जिसका इस्तेमाल आजकल लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियां किसी क्रिमिनल को पकड़ने में करती हैं।
- यह सर्विसेस किसी देश के भीतर कारगर साबित हो सकती है। गुप्तचर एजेंसियों के लिए भी यह काम की है, लेकिन जब इसका इस्तेमाल कोई अन्य देश करता है तो इसे साइबर जासूसी और साइबर वारफेयर एक्टिविटी कहते हैं। यह एक तरह से हाइब्रिड वारफेयर ही है।
चीन यह कैसे और क्यों कर रहा है?
- रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और साइबर क्राइम एक्सपर्ट डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिग डेटा और सोशल मीडिया एनालिटिक्स से किसी के डिजिटल फुटप्रिंट पर नजर रखना आज की तारीख में कोई बहुत बड़ा काम नहीं है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग से यह बेहद आसान हो गया है।
- उन्होंने यह भी कहा कि इस समय हमारा देश कई मोर्चों पर लड़ रहा है। फिर चाहे चीन की सीमा का मसला हो या कोविड-19 का, नेपाल से जुड़ा मुद्दा हो या इकोनॉमिक फ्रंट का। कई सारे फैसले लिए जा रहे हैं, जो रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। ऐसे समय में किसी भी तरह की सूचना दुश्मन देश के हाथ में जाना खतरनाक है।
- हालांकि, डॉ. श्रीवास्तव कहते हैं कि भारत का साइबर सिस्टम बहुत ही मजबूत है। फायरवॉल्स स्ट्रॉन्ग हैं। पीएमओ या किसी भी अन्य मंत्री या अधिकारी की जानकारी गोपनीय रखी जाती है। उसका डिजिटल फुटप्रिंट तलाशना किसी भी कंपनी या देश के लिए इतना आसान नहीं होगा।
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