Strange IndiaStrange India


  • Hindi News
  • Db original
  • Not A Single Patient Died, Zero Infection In Medical Staff, How Did ITBP Make This Possible…

4 मिनट पहलेलेखक: पूनम कौशल

  • मेडिकल स्टाफ घर नहीं जाते, डॉ रीता कहती हैं, ‘सबसे मुश्किल होता है पीपीई किट पहनकर मरीजों को देखना और घरवालों को ये समझाना कि हम यहां ठीक हैं’
  • मरीजों के लिए खाने का बंदोबस्त राधा स्वामी सतसंग की ओर से किया जा रहा है, दिन में तीन बार काढ़ा, दो बार चाय, गरम पानी और भोजन मुफ्त देते हैं

बड़ा सा एयरकंडीशंड टीन शेड, लाइन में लगे हजारों बिस्तर, उन पर आराम कर रहे कोरोना संक्रमित। जहां तक नजर जाती है बस मरीज ही नजर आते हैं। मेडिकल स्टाफ और मरीजों के बीच में एक ट्रांसपेरेंट प्लास्टिक शीट लगी है जिसके पास लाइन में वे लोग खड़े हैं, जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है और अब उन्हें डिस्चार्ज होना है।

वॉर्ड का दौरा कर रहे डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ प्रशांत मिश्रा से डिस्चार्ज हो रहा एक मरीज कहता है, ‘क्या मैं कैब बुलाकर घर चला जाऊं।’ डॉ. मिश्रा उसे समझाते हैं, ‘यहां सबकुछ एक व्यवस्था के तहत हो रहा है। आपको सुरक्षित घर पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है। वो ही आपको घर छोड़ेगी।’ दिल्ली के बाहरी छोर छतरपुर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के कैंपस में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड केयर केंद्र शुरू किया गया है, जिसकी कमान भारत के अर्धसैनिक बल आईटीबीपी के हाथ में है।

यहां जरूरत पड़ने पर दस हजार बिस्तर लगाए जा सकते हैं। अभी दो हजार बिस्तरों पर संक्रमितों को भर्ती किया जा रहा है। महिलाओं के लिए अलग से वॉर्ड बनाया गया है। यहां पांच दिनों से भर्ती पूजा कहती हैं, ‘मुझे लग रहा है,, मैं अच्छे माहौल में हूं और सुरक्षित हूं। यहां हमें अस्पताल से भी बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं। यहां हम एक डिसिप्लिन में रह रहे हैं। समय पर खाना मिल रहा है। समय पर मेडिकल स्टाफ हालचाल पूछ रहा है।’

दिल्ली के बाहरी छोर छतरपुर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के कैंपस में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड केयर केंद्र शुरू किया गया है जिसकी कमान आईटीबीपी के हाथ में है।

पूजा कहती हैं, ‘यहां की सबसे अच्छी बात है टीम का व्यवहार। वो हमसे अच्छे से बात करते हैं। काउंसलिंग करते हैं और हर संभव मदद करने की कोशिश करते हैं। उनकी हम लोगों के साथ बॉन्डिंग बहुत अच्छी है।’ पूजा के साथ ही खड़ी सरिता भी उनकी हां में हां मिलाते हुए कहती हैं, ‘लग ही नहीं रहा हम घर से दूर हैं।’

यहां भर्ती लोगों के चेहरे पर तनाव या चिंता नजर नहीं आती। अधिकतर लोग बिस्तरों पर आराम कर रहे हैं। कुछ लाइब्रेरी से पुस्तकें ले रहे हैं। कुछ कुर्सियों पर बैठे हैं। यहां हो रहे हर काम में एक अनुशासन नजर आता है जो सिर्फ स्टाफ में ही नहीं, मरीजों में भी है।

यहां सबसे अधिक ध्यान संक्रमितों की मानसिक सेहत का रखा जा रहा है। इंस्पेक्टर सुमन यादव और ब्रजेश कुमार एजुकेशन एंड स्ट्रेस काउंसलर हैं। उनकी टीम का काम मरीजों का तनाव कम करना है। वो बताती हैं, ‘सुबह मरीजों को योग कराया जाता है, शाम को मेडिटेशन कराया जाता है। हर मरीज की काउंसलिंग की जाती है। हम मरीजों को ये अहसास कराते हैं कि हम उनके साथ हैं।’

वो कहती हैं, ‘कोरोना का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। संक्रमण का पता चलने पर तनाव में आ जाते हैं। हम उन्हें ये अहसास दिलाते हैं कि आप सुरक्षित हाथों में है और आपको कुछ नहीं होगा। हम उन्हें दिमागी तौर पर मजबूत करते हैं। हम उनकी छोटी से छोटी बात सुनते हैं। जब सारा स्टाफ उनके साथ खड़ा होता है तो उन्हें लगता है कि हम अकेले नहीं हैं।’

इंस्पेक्टर ब्रजेश कहते हैं, “ये महामारी का समय है। बहुत चुनौतियां भी हैं। लेकिन हमारी टीम उन्हें संभाल लेती है। हम टीम वर्क करते हैं और अधिकारियों के निर्देश का पालन करते हैं।’ डॉ. रीता मोगा मेडिकल स्पेशलिस्ट हैं। वह उन मरीजों का ध्यान रखती हैं जो पहले से किसी और बीमारी से भी पीड़ित हैं। वह कहती हैं, “यहां मरीज बहुत ज्यादा हैं। कई बार उनसे बात करने में मुश्किल होती है। मरीजों के साथ कोई नहीं है। हमें ही उनकी हर जरूरत का भी ध्यान रखना होता है। हमें उनकी हर चीज में मदद भी करनी होती है।”

यहां सुबह मरीजों को योग कराया जाता है, शाम को मेडिटेशन कराया जाता है। हर मरीज की काउंसलिंग की जाती है।

यहां सुबह मरीजों को योग कराया जाता है, शाम को मेडिटेशन कराया जाता है। हर मरीज की काउंसलिंग की जाती है।

डॉ. रीता कहती हैं, ‘बुजुर्गों का अधिक ध्यान देना पड़ता है। उन्हें मास्क पहनने के लिए भी समझाना पड़ता है।’डॉ रीता और यहां काम कर रहे दूसरे मेडिकल स्टाफ घर नहीं जा रहे हैं। उनके रहने का इंतेजाम पास ही किया गया है। वो कहती हैं, “सबसे मुश्किल होता है पीपीई किट पहनकर मरीजों को देखना और घरवालों को ये समझाना की हम यहां ठीक हैं।”

आईटीबीपी के फार्मासिस्ट सुशील कुमार बताते हैं, ‘यहां आ रहे मरीजों के लिए खाने का बंदोबस्त राधा स्वामी सत्संग की ओर से किया जा रहा है। मरीजों को दिन में तीन बार काढ़ा, दो बार चाय, गरम पानी और भोजन मुफ्त उपलब्ध करवाया जाता है।’

यहां जब मरीज पहुंचते हैं तो उन्हें एक मेडिकल किट भी दी जाती है जिसमें बाकी जरूरी चीजों के अलावा च्यवनप्राश भी होता है। सुशील बताते हैं, “बच्चों और कुछ विशेष जरूरत वाले मरीजों की डाइट डॉक्टर की सलाह के मुताबिक तैयार की जाती है।”

भारत में इस समय रोजाना कोरोना संक्रमण के करीब एक लाख नए मामले सामने आ रहे हैं और ये तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जुलाई के पहले सप्ताह में सरदार पटेल कोविड केयर केंद्र शुरू किया। इसमें दिल्ली सरकार, दिल्ली के नगर निगम, राधा स्वामी सत्संग व्यास और कई अन्य गैर सरकारी संगठन सहयोग दे रहे हैं। इसकी कमान आईटीबीपी के हाथ में है।

यहां अब तक करीब पांच हजार संक्रमित भर्ती हो चुके हैं। यहां बिना लक्षणों वाले या हल्के लक्षणों वाले मरीज भर्ती किए जाते हैं। अभी तक यहां एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है। डॉ. प्रशांत मिश्रा बताते हैं, ‘यहां 1800 सामान्य बिस्तर हैं जबकि 200 बिस्तरों पर ऑक्सीजन सपोर्ट है। आपात स्थिति के लिए आईसीयू भी तैयार किया गया है।’

इस अस्थायी अस्पताल को बहुत ही कम समय में तैयार किया गया और ये काफी चुनौतीपूर्ण भी था। डॉ मिश्रा बताते हैं, ‘हमारे डॉक्टर अभी तक अस्पताल या ऐसी जगह काम करते रहे थे जहां प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर था। लेकिन यहां हमने गृह मंत्रालय के निर्देश में महामारी के समय ये अस्थाई अस्पताल बनाया है। सीमित समय में ये काम करना काफी चुनौतीपूर्ण था।’ वह बताते हैं, “25 जून को इस केंद्र को बनाने को लेकर हमारी पहली मीटिंग हुई थी और 05 जुलाई को हमने पहले मरीज को भर्ती कर लिया था।

डॉ. मिश्रा बताते हैं, ‘आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देशवाल ने इस काम के लिए टीम गठित की। हमारे लिए यही निर्देश है कि जो भी यहां से जाए अच्छा महसूस करता हुआ जाए। हम सब इसी टॉस्क में जुटे हैं।’

इस कोरोना केंद्र में 17 दिन के बच्चे से लेकर 78 साल तक के बुजुर्ग आ चुके हैं। डॉ मिश्रा कहते हैं, ‘बहुत से संक्रमित ऐसे आते हैं जिन्हें पहले से और भी बीमारियां होती हैं। कई को तो पता भी नहीं होता कि वो डायबिटीज या हाइपरटेंशन जैसी बीमारी से पीड़ित हैं।’

इस कोरोना केंद्र में अभी तक मेडिकल स्टाफ का कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ है। जीरो फीसदी इंफेक्शन है। डॉ. मिश्रा कहते हैं, ‘हमने बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए प्लानिंग की है। हमने कई प्रोटोकॉल और एसओपी बनाए हैं जिनका हर स्तर पर पालन किया जा रहा है। अभी तक हमारी कामयाबी का कारण हमारा डिसिप्लिन ही है। यहां हर कोई अनुशासन में रहकर अपना काम कर रहा है।’

यहां मरीजों को दिन में तीन बार काढ़ा, दो बार चाय, गरम पानी और भोजन मुफ्त उपलब्ध करवाया जाता है।

यहां मरीजों को दिन में तीन बार काढ़ा, दो बार चाय, गरम पानी और भोजन मुफ्त उपलब्ध करवाया जाता है।

इस कोविड केंद्र के बायो मेडिकल वेस्ट का कलेक्शन दक्षिण दिल्ली नगर निगम की टीम करती है। वह कहते हैं, ‘हमारा काम वायरस की चेन को तोड़ना है। लोगों के सहयोग के बिना हम ये काम नहीं कर सकते। अच्छी बात ये है कि हमें सबका सहयोग मिल रहा है।’

आईटीबीपी इस समय सरहद पर चीन से और सरहद के भीतर चीन से आए वायरस से जूझ रही है। डॉ. मिश्रा कहते हैं, ‘देश ने हम पर भरोसा किया है। दुनिया के इस सबसे बड़े कोविड केंद्र का संचालन अलग तरह का अनुभव है। इसके सबक आगे काम आएंगे।’

क्या जरूरत पड़ने पर इस केंद्र की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, इस सवाल पर मिश्रा कहते हैं, “हमें जो भी आदेश मिलेगा, हमें उसे लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अब तो हमारे पास अनुभव भी है। ‘मैंने इस कोविड केंद्र का दो बार दौरा किया और चीजों को करीब से देखने की कोशिश की। हर बार वही डिसिप्लिन नजर आया। यहां सबकुछ तय प्रोटोकॉल के तहत हो रहा है। और शायद यही डिसिप्लिन इस कोरोना केंद्र की कामयाबी का राज भी है।

कोविड केंद्र से ठीक होकर जा रहे एक मरीज रुआंसी आवाज़ में कहते हैं, ‘मैं दो दिन निजी अस्पताल में भी रहा। वहां मेरा ध्यान तो नहीं रखा गया। मोटा बिल जरूर थमा दिया गया। यहां फैसिलिटी वर्ल्ड क्लास है और खर्च कुछ भी नहीं।’

0



Source link

By AUTHOR

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *